Friday, April 26, 2024
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विजय गोयल ने एमआरपी की जगह न्यूनतम मूल्य लिखने की उठाई मांग

एमआरपी पर तीन से चार गुना रखा जाता है मूल्य 

राज्यसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर बोल रहे थे गोयल

 ग्राहकों को जागरूक करने पर हर साल 62 करोड़ रुपए खर्च करती है सरकार 

नई दिल्ली,  आज राज्यसभा में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पर अपने विचार रखते हुए, सांसद और वरिष्ठ बीजेपी नेता विजय गोयल ने कहा कि विधेयक में MRP पर कुछ नहीं कहा गया है, जबकि बाजार में MRP सबसे बड़ी लूट का केंद्र बन रहा है. उन्होंने कहा कि बेहतर होगा यदि उत्पादों पर Maximum Retail Price (अधिकतम खुदरा मूल्य) की बजाय Minimum Retail Price (न्यूनतम खुदरा मूल्य) बताया जाए क्योंकि जो दाम बताए जा रहे हैं वह 3 से 4 गुना ज्यादा है.

MRP पर कठोर कदम उठाने की मांग करते हुए, गोयल ने कहा कि “जागो ग्राहक जागो” अभियान के तहत एक विज्ञापन में ग्राहकों से MRP से अधिक दाम पर कोई भी उत्पाद ना खरीदने की अपील होती है, वहीँ दूसरे विज्ञापन में ग्राहकों से MRP पर मोल-भाव करने को कहा जाता है. 3 दशक पुराने विधेयक को हटाकर, उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार देने हेतु नए बिल लाने पर गोयल ने उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजानिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान जी का धन्यवाद किया।

विधेयक को और मजबूत करने का सुझाव देते हुए, गोयल ने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं की भलाई के लिए नए कानून लाए यह अच्छी बात है,लेकिन साथ ही जागरूकता, धर्म और नैतिकता पर भी ध्यान दे. ग्राहकों की जागरूकता पर सरकार हर साल 62 करोड़ रूपये खर्च करती है लेकिन उससे केवल 2-3% लोगों तक ही अपना सन्देश पहुंचा पाती है. विधेयक तीन एजेंसीज बनाने का प्रस्ताव  करता है- सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी, सेंट्रल कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमीशन, और सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउन्सिल। उनका सुझाव था कि अथॉरिटी और काउन्सिल के नाम एक जैसे हैं इसलिए यदि सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन काउन्सिल के काम की प्रकृति को देखकर इसका नाम एडवाइजरी काउन्सिल रखा जाता तो ग्राहकों को अपनी शिकायतें दर्ज कराने में कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा। 

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, गोयल ने कहा कि आज भारत विश्व में सबसे बड़ा उपभोक्ता का बाजार बना है और चूँकि आनेवाले समय में यह और बड़ा बनेगा, इसलिए ग्राहकों की शिकायतों का निपटान और उनकी जागरूकता पर सरकार को काफी काम करने की जरुरत है. हर साल 1.5 लाख उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायतें दर्ज कराते है, और आनेवाले समय में यह संख्या बढ़नी ही है. पहले से इन उपभोक्ता फोरम में 5 लाख शिकायतें लंबित हैं.  

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