पुनीत गुप्ता ,दिल्ली दर्पण टीवी , 11 अगस्त 2020
सिविक सेन्टर, नई दिल्ली ।। नार्थ एमसीडी महापौर जय प्रकाश के बुलावे पर खास सदन बुलाया गया । मुद्दा था, दिल्ली के जलभराव की समस्या को निपटाने के लिए रास्ता निकालने का । लेकिन इस अहम मुद्दों के अलावा सभी मुद्दे सदन में गूंजते रहे। मुद्दा बना की एमसीडी को दिल्ली सरकार पैसा दे, मुद्दा बना की दिल्ली के मुख्यमंत्री को कोरोना हुआ तो क्या किया, मुद्दा बना की गृहमंत्री अमित शाह को कोरोना हुआ तो वह दिल्ली के अस्तपाल में भर्ती क्यों नहीं हुए । यह सभी तमाम मुद्दे तो सुनाई दिए लेकिन जलभराव का मुद्दा पानी पानी हो गया ।
नेता सदन योगेश वर्मा ने कहा की हमने सदन में सभी निगम पार्षदों के सर्टिफिकेट्स दिखाए है ।जिसमे पार्षदों ने जिम्मेदारी ली है की उनके यहाँ की सभी नालिया साफ़ है लेकिन पीडब्लूडी के नाले साफ़ नहीं है । उनकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? नेता सदन योगेश वर्मा ने कहा की एमसीडी के भाजपा पार्षदों ने यह लिखित में दिया है की उन्होंने अपने क्षेत्र की सभी नालियों की सफाई करवाई है । लेकिन, पीडब्लूडी के नाले जाम है जिसकी वजह से दिल्ली पानी पानी हो चुकी है । अब जिस तरह से हमने सर्टिफिकेट्स लिए है । दिल्ली सरकार को भी पीडब्लूडी से सभी नाले साफ़ करके सर्टिफिकेट्स जारी करने चाहिए।
नार्थ एमसीडी नेता विपक्ष विकास गोयल ने भी एमसीडी को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी । विकास गोयल ने कहा,”आपने क्षेत्र की सफाई की है 15 दिनों में 122 किलोमीटर के नाले आपने साफ़ किये है उनका ब्यौरा सदन में पेश करे, कब साफ़ हुए ? किसने किये ? कितना पैसा खर्च हुआ ? किस ट्रक में गंदगी भरी गयी ? कहा पर गंदगी डाली गयी ? सब बताएं।”
विकास गोयल ने कहा की एमसीडी ने अब यह नया घोटाला शुरू किया है। जिसमे सिर्फ कागजो पर ही सफाई की जा रही है। धरातल पर कोई कार्यवाही नहीं दिखी है। जिस मकसद के लिए सदन बुलाया गया था वो मकसद पर कोई चर्चा नहीं की गयी। सिर्फ गृह मंत्री अमित शाह को कोरोना क्रेडिट दिलवाने के लिए ही यह सदन बुलाया गया था। सिर्फ आरोप प्रत्यारोप की राजनीती के लिए ही हाउस बुलाया गया। सर्टिफिकेट्स दिखाने से सफाई नहीं होती ,दिल्ली में नालिया भरी पड़ी है।
इसके साथ ही विकास गोयल ने कहा की दिल्ली में कोरोना योद्धाओ को पैसे जरूर दिया जायेगा जिस भी योद्धा ने कोरोना सेवा में अपनी जान गवाई है।
3 घंटे के सदन में जलभराव को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। अब ऐसे में दिल्ली कब तक पानी पानी होती रहेगी यह तो वक्त और राजनीती ही शायद तय कर पाए। लेकिन, अब जरुरी है की सदन में बैठक की बजाय सड़को पर उतरना जरुरी है। ताकि धरातल की समस्यायें समझ आ सके।