Friday, November 8, 2024
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किराड़ी हुई जलमगन, नींद में सरकार और प्रशाशन , लोगो ने विधायक के घर को घेरा |

सालो से नहीं सुधरा किराड़ी का हाल
कई लोगो की जा चुकी है जान

पुनीत गुप्ता , दिल्ली दर्पण टीवी

किराड़ी, नई दिल्ली।। मानसून की बारिश के साथ दिल्ली पानी पानी हो जाती है लेकिन दिल्ली का एक क्षेत्र ऐसा भी है जो बिना बारिश के भी पुरे साल पानी में ही रहता है । आउटर दिल्ली की किराड़ी विधानसभा एक ऐसा क्षेत्र है। जहाँ गली गली में पानी भरने की समस्या आम है| हालाँकि, यहाँ जलभराव की ज्यादातर जमीन डीडीए के अंतर्गत आती है| इसीलिए यहाँ के स्थानीय विधायक ऋतू राज भी यही बोल कर अपना पल्ला झाड़ लेते है। लेकिन, जनता को इस समस्या से कब निजात मिलेगी। इसका जवाब न सरकार के पास है, न विधायक के पास और न ही प्रशाशन के पास है।

किराड़ी में समस्या का कारण जाम नाली…

अब जब पानी सर से ऊपर निकलने लगा तो किराड़ी की जनता ने बुधवार को स्थानीय विधायक के दफ्तर का घेराव किया। हंगामा भी किया और यह बात विधायक तक पहुंचाने की कोशिश की, की अब किराड़ी पानी पानी हो चुकी है।

इस से पहले भी किराड़ी में कई लोगो की जान इस इक्क्ठे हुए पानी में डूबने की वजह से हो जाती है। लेकिन उसके बाद भी समस्या का हल नहीं मिला नहीं होती।लोगो ने बताया की पानी उनके घरो में घुसने लगा है। आप घर में रह नहीं सकते, बच्चे सो नहीं सकते, हम खाना नहीं बना सकते, हर वक्त डर लगा रहता है की बाहर खेल रहे बच्चो के साथ कोई हादसा न हो जाये।

कुछ दिनों पहले ही नार्थ एमसीडी मेयर जय प्रकाश ने स्थानीय निगम पार्षद पूनम पराशर के साथ किराड़ी का दौरा भी किया था। नार्थ एमसीडी ने दिल्ली में जलभराव की समस्या को विकराल मानते हुए मंगलवार को ख़ास सदन भी बुलाया था। लेकिन, वो सदन भी दूसरे मुद्दों में भटक गया।

आखिर ज़िम्मेदार कौन ?

किराड़ी को लेकर स्थानीय निगम पार्षद पूनम पराशर का कहना है की एमसीडी के सभी नालिया और नाले साफ़ है। लेकिन, पीडब्लूडी के नाले ब्लॉक होने की वजह से ही जल भराव हो रहा है। वही स्थानीय विधायक जल भराव वाली जमीन को डीडीए की बताते है और कहते है की इसका समाधान डीडीए ही कर सकता है।

वजह जो भी हो लेकिन किराड़ी की समस्या को देख कर यह बात साफ़ होती है की काम करने की नियत में काफी फर्क है। अगर तीनो एजेंसियो में से किसी एक भी सकारात्मक नियत हो तो यह समस्या जल्द ही ख़त्म हो सकती है। लेकिन, समस्या से ज्यादा यह पोलिटिकल मुद्दा है। जिसको कोई भी ख़त्म नहीं करना चाहता।

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