पुनीत गुप्ता / दिल्ली दर्पण टीवी
बाहरी दिल्ली || भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश की लिस्ट के बाद जिला संगठन की लिस्ट में भी नाराजगी के स्वर सुनाई दे रहे है। जिला अध्यक्षों को अपने जिले की लिस्ट जारी करना भी किसी जंग लड़ने से कम नहीं लग रहा है। एक तरफ स्थानीय कार्यकर्ता और नेता उनकी परिक्रमा कर टीम में शामिल होने की अपील कर रहे हैं। तो दूसरी ओर प्रदेश के बड़े बड़े नेता जिला अध्यक्ष को अपने चेहतों के नाम भेज रहे हैं। जो जिला अध्यक्ष यह जंग जीत कर अपनी लिस्ट जारी कर रहे हैं उन्हें अब नयी जंग लड़नी पड़ रही है।
पहले बात बाहरी जिले की कर लेते हैं। दिल्ली के बाहरी जिले में तो खुल्लम खुला बीजेपी कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर जिला अध्यक्ष पर हमला कर रहे हैं तो कुछ अपने आकाओं के जरिये अपनी नाराजगी दर्ज़ करा रहे हैं। जिले के पुराने कार्यकर्त्ता अरुण दलाल ने जिला अध्यक्ष बजरंग शुक्ला पर पैसे देकर पद देने तक के आरोप लगा दिए। अरुण दलाल ने साफ-साफ कहा की वह पार्टी के साथ हैं लेकिन इस जिला अध्यक्ष के साथ नहीं हैं। नाम न छपने की शर्त पर एक पुराने कार्यकर्ता ने मंत्री बनाये गए एक पदाधिकारी पर आरोप लगाया कि उन्हें पैसे लेकर मंत्री पद दिया गया है। कुछ ऐसे लोग जो पुलिस प्रशासन के लिए दलाली का काम करते थे अब उन्हें नेता का तमगा दे दिया गया है। यह कार्यकर्ताओं का अपमान है।
अब अगर बात केशव पुरम जिले की करें तो हाल वहां भी कुछ खास नहीं हैं। यहाँ के पुराने कार्यकर्ताओं का दर्द है की जिले में ऐसे ऐसे लोगों को पद दिए है जिनका कोइ जनाधार नहीं है या पार्टी से बिलकुल नए जुड़ें है। पुराने कार्यकताओं को न तो पदोन्नति दे गयी और न ही उन्हें जगह ही दी गयी। ऐसे-ऐसे लोगों को पद दिया गया है जिनका कोई जनाधार नहीं है। जबकि पुराने और अनुभवी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया है। जबकि ये कार्यकर्ता कितने ही अन्य बड़ी-बड़ी संस्थाओं से जुड़ें है। और पार्टी के हर कार्यकर्म में शामिल होते है। आयोजनों और कार्यकर्मों को सफल बनाते है।
उत्तर पश्चिम जिले का तो यह हाल है की जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी लिस्ट ही जारी नहीं कर पा रहे है। इस जिले बड़े बड़े नाम जिला अध्यक्ष की दौड़ में थे। हंसराज हंस , विधायक विजेंद्र गुप्ता सहित सबसे अपने अपने चेहते अध्यक्ष पद की दौड़ में थे। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को भी पदेश के पुराने और बड़े नेता हज़म नहीं कर पा रहे है। बड़े पुराने नेताओं को लगता है कि वे अपने ज्यूनियर नेता के के निचे काम करने में खुद को सहज महसूस नहीं कर रहे। यही स्थिति जिला स्तर पर भी है।
मंडल और जिले के पुराने पदाधिकारी नए जुड़े लोगों को पचा नहीं पा रहे है। अभी दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में पार्टी कार्यकर्ताओं में यह नाराजगी पार्टी के उत्साह के लिए अच्छी नहीं है। इसे देख संघ से जुड़े लोग और पार्टी के कुछ समर्पित कार्यकर्ता पद न मिलने पर नाराज लोगों को मानाने की कोशिशें भी कर रहे है।