संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली ।। देश की राजधानी दिल्ली में अवैद्य कालोनियों के निर्माण और विस्तार का उद्योग खूब फलफूल रहा है। तमाम सरकारी घोषणों के बावजूद दिल्ली की सैंकडों कालोनियां अभी तक अवैध होने का कलंक ढो रही हैं। इन कालोनियों में रहने वाले लाखों लोग अपनी कालोनी के नाजायज होने की बदनामी झेल रहे हैं और वर्षों से जायज होने इंतजार कर रहे हैं।
दिल्ली में जब भी चुनाव आते हैं सत्तारूढ पार्टी अवैद्य कालोनियों को वैध कराने की ढिंढोरा पीटने निकल पड़ती है। दिखावे के लिए दो चार लोगों को पटटे और रजिस्ट्री बांट कर फोटो खिंचवा ली जाती हैं। चुनावों में राजनीतिक पार्टियां वोटों की फसल काट कर गायब हो जाती हैं और बाद में ये कालोनियां फिर से नाजायज होने का दाग ढोने पर अभिशप्त रह जाती हैं।
असल में इसके पीछे पैसों का बहुत बड़ा खेल है। जिसमें राजनीतिक दलों के स्थानीय नेताओं से लेकर निगम के अधिकारी और पुलिस तक के हाथ रंगे हुए हैं। दिल्ली में अवैध निर्माण का धंधा बहुत बड़ा है और इसकी जड़ें गहरी है जो सत्ता पक्ष, विपक्ष के नेताओं, नगर निगम, पुलिस के छोटे बडे़ अधिकारियों तक फैली हुई हैं।
अगर उत्तरी दिल्ली की बात करें तो अकेली रोहिणी इलाके में 500 से 600 अवैद्य इमारतें बन रही हैं। इनमें से शायद ही कोई हो जो नियमकायदे से बन रही हो। इस इलाके के 30 साल पुरानी कालोनी दीप विहार में हर साल करोड़ों का अवैध निर्माण होता है। यहां सीवर लाइन नहीं है, बिजली, पानी नहीं है, पार्क, पार्किंग नहीं हैं। हालांकि कालोनियों की सूची घोषित है लेकिन रजिस्ट्री जानबूझ कर खोली नहीं जा रही है।
दिक्कत यह है कि जो लोग इन कालोनियों में रहते है, हमेशा उन के सिर पर एमसीडी की तलवार लटकी रहती है क्योंकि यह अनऑथराइज्ड निर्माण माना जाता था और नगर निगम समय समय पर अनऑथराइज्ड कंस्ट्रक्शन के खिलाफ कार्रवाई करती भी रहती थी। जहां से पैसा मिल जाता वहां निर्माण कार्य हो जाता और जहां पैसा नहीं मिलता, वहां तोड़फोड़ कर दी जाती है।इन कॉलोनियों में सबसे बड़ी समस्या बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सड़क, सीवर,पानी इन समस्याओं से लोग परेशान रहते हैं।