Friday, November 8, 2024
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आखिर क्यो मनाया जाता है तुलसी विवाह ?

मनोज सूर्यवंशी, सवांददाता

दिल्ली एनसीआर।। फरीदाबाद में अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र बबली ने बड़ी सी धूमधाम से आज तुलसी विवाह मनाया उन्होंने बताया कि आज देव उठनी एकादसी है हिन्दू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन की सनातन धर्म मे बड़ी मान्यता है।

उन्होंने बताया कि  कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह होता है। इस दिन शालीग्राम और तुलसी का विवाह होता है। शालीग्राम भगवान विष्णु के ही प्रतिरूप हैं। हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी या देव उठनी एकादशी को तुलसी विवाह होता है। इसमें वृंदा के भगवान विष्णु को श्राप देने का वर्णन है। सुरेंद्र बबली ने बताया कि नारद पुराण के अनुसार, एक समय दैत्यराज जलंधर के अत्याचारों से ऋषि-मुनि, देवता और मनुष्य सभी बहुत परेशान थे। वह बड़ा ही पराक्रमी और वीर था।

इसके पीछे उसकी पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली पत्नी वृंदा के पुण्यों का फल था, जिससे वह पराजित नहीं होता था। उससे परेशान देवता भगवान विष्णु के पास गए और उसे हराने का उपाय पूछा। तब भगवान श्रीहरि ने वृंदा का पतिव्रता धर्म तोड़ने का उपाय सोचा।भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा को स्पर्श कर दिया।

जिसके कारण वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग हो गया और जलंधर युद्ध में मारा गया। भगवान विष्णु से छले जाने तथा पति के वियोग से दुखी वृंदा ने श्रीहरि को श्राप दिया कि अपकी पत्नी का भी छल से हरण होगा तथा आपको पत्नी वियोग सहना होगा। इसके लिए आपको पृथ्वी पर जन्म लेना होगा। यह श्राप देने के बाद वृंदा सती हो गई। उन्होंने कि वृंदा ने भगवान विष्णु को निष्ठुर व्यवहार करने के कारण पत्थर होने का श्राप दिया ​था। उसके कारण ही शालिग्राम स्वरुप में भगवान विष्णु की पूजा होती है।

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