संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।। लाॅकडाउन खुलने के बाद से दिल्ली और एनसीआर के बीच नियमित आवाजाही करने वाले लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वजाय प्राइवेट ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल अधिक करने लगे हैं। नतीजा दिल्ली से कामकाज के सिलसिले में नौएडा, गुड़गांव और फरीदाबाद की सड़कें दो पहिए और चार पहिए के निजी गाडियों से भरी रहती हैं। पीक आवर में घंटों जाम लगना सामान्य बात हो गई है। इसका बुरा असर स्वच्छ वायु पर भी हुआ है। प्रदूषण का स्तर इन निजी वाहनों की वजह से भी बढ़ जाता है।
इस बारे में प्राइवेट ट्रांसपोर्ट से प्रतिदिन 60-70 किलोमीटर का सफर करने वाले अधिकतर लोगों का कहना है कि वे मजबूरी में ऐसा करते हैं। कारण पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी है। न तो बसें पर्याप्त संख्या में चल रही है, और न मेट्रो में पूरी क्षमता के सवारी जाने की छूट है। दूसरी समस्या उनमें सोशल डिस्टेंसिंग की कमी बनी रहती है, जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बना रहता है।
निजी वाहन अगर लोगों को घर से सीधे दफ्तर तक आने-जाने में सुविधाजनक बन गया है, तो इसमें खर्च भी कम आता है। यदि पिछले दो-तीन माह के आंकड़े देखें तो पाएंगे कि दिल्ली में दोपहिए और चार पहिए के वाहनों की बिक्री में काफी वृद्धि हुई है।
निजी वाहन इस्तेमाल करने का एक कारण टैक्सियों द्वारा बंद कर दी गई कार पुलिंग की सुविधा भी है। किसान आंदोलन के बाद से तो दिल्ली से बोर्डर पर आने-जाने वालों के लिए दोपहिए ही मददगार सबित हो रहे हैं। बहरहाल, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट के बढ़ने से दिल्लीवासियों के लिए एक नई समस्या पैदा हो गई है।