शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सभी स्कूलों की कक्षाएं दसवीं से 12वीं के खुलने के बाद अब कोंचिंग सेंटर भी खुलने की अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। दिल्ली में उच्च शिक्षा का हब माने जाने वाले मुखर्जी नगर का हाल अभी भी बेहाल है। क्योंकि लगभग 10 महीनों से बंद कोचिंग संस्थानो पर अभी तक ताला लगा हुआ है। पिछले साल ही मार्च में कोरोना के बढ़ते स्तर को देखते हुए देश को लॉकडाउन की प्रक्रिया के तहत बंद कर दिया था। पर किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कोरोना का प्रकोप इस तरह देश में पसरेगा की सभी चीजों को ठप कर देगा।
लोगों की मानें तो जब से कोरोना का कहर शुरु हुआ है, तब से मुखर्जी नगर में सन्नाटा पसरा हुआ है। क्योंकि यहां पर अधिकतर छात्र कोंचिग की वजह से आते थे। जब से कोंचिग संस्थाए बंद हुईं तब से वहां की रौनक भी गुम सी हो गई है।
प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले एक छात्र से जब पूछा गया कि क्या अब दिल्ली सरकार को कोंचिग संस्थान खोलने की अनुमति दे देनी चाहिए? इसपर उसने जवाब दिया कि जब दिल्ली सरकार 10वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल खोल सकती है, तो हम तो उनसे बड़े जब भी बड़े हैं। हमारे लिए कोचिंग संस्थाए और कॉलेज क्यों नहीं खोली जा सकती। अगर सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में कुछ अच्छा फैसला लेना था, तो पहले बड़े बच्चों के हित में लेती। कोरोना की गाईडलाइंस को जब छोटी क्लास के बच्चे पालन कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं?
इसी संदर्भ में कुछ ऐसे भी लोग ऐसे भी हैं, जो सरकार के इस फैसले के समर्थंन में थे। उनका कहना था कि सरकार जो करेगी हम सभी के बारे में सोच कर करेंगी। सरकार को यह पता है कि मुखर्जी नगर शिक्षा का बहुत बड़ा हब है। ऐसे में इसे खोला जाता है तो हजारों की तदाद में बच्चे आयेंगे, जिससे कोरोना का तो नहीं पर कोरोना का नया रुप यानी स्ट्रेन के पसरने की आशंका बढ़ सकती है।