संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली। दिल्ली में नार्थ एमसीडी के सफाई और अस्पताल की नर्सों और डॉक्टर्स के वेतन मिलने पर मेयर ने हड़ताल खत्म करने के लिए कहा है। नॉर्थ एमसीडी के मेयर जय प्रकाश के अनुसार सफाई कर्मचारियों के तीन महीने का बकाया वेतन जारी किया जा चुका है। इसी तरह स्वास्थ्य कर्मियों का भी तीन माह अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर के बकाया वेतन मिल चुका है।
वेतन मिलने के बाद मेयर उन्हें काम पर लौटने को कहा है। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों का कुछ महीनों का बकाया वेतन मिल गया है और अब उन्हें काम पर लौट जाना चाहिए। अगर इसके बाद भी वे काम पर नहीं लौटते, तो उनके खिलाफ सख्ती की जा सकती है।
मेयर के अनुसार सफाई कर्मचारियों का अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर का बकाया वेतन के लिए 228 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं। ग्रुप-डी के बाकी कर्मचारी का सितंबर महीने का बकाया वेतन 43 करोड़ रुपये जारी किया गया है। इसी तरह से ग्रुप-सी में कार्यरत पैरा-मेडिकल स्टाफ (हॉस्पिटल) का अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर का 8.07 करोड़ रुपये बकाया वेतन दिया गया है। ग्रुप-सी में दूसरे कर्मचारी हैं, उनका सितंबर माह का बकाया 18.23 करोड़ रुपये जारी कर दिया है।
हॉस्पिटल नर्सों का भी तीन महीने का बकाया वेतन 24.69 करोड़ रुपये और डॉक्टरों का नवंबर का 6.18 करोड़ रुपये जारी किया जा चुका है। सभी कर्मचारियों को मिलाकर करीब 516 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया वेतन बुधवार को जारी किया गया। इसके बाद भी अगर कर्मचारी काम पर नहीं लौटते तो यह ज्यादती है और ऐसा माना जाएगा कि वे काम करना ही नहीं चाहते। इसलिए उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है।
उधर, इस मामले में कॉन्फेडरेशन ऑफ एमसीडी एम्प्लॉइज यूनियन के पदाधिकारी ए.पी. खान और नगर निगम शिक्षक संघ के रामनिवास सोलंकी ने कर्मचारियों के बकाया वेतन देने में भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि किसी भी ग्रुप के कर्मचारी को अभी भी पूरा वेतन नहीं मिला है। हॉस्पिटल में कार्यरत नर्सों का तो सारा बकाया वेतन दे दिया गया है, लेकिन जो डिस्पेंसरी और दूसरी जगहों पर कार्यरत नर्से हैं, उनका वेतन पूरा नहीं मिला है।
इसी तरह से फील्ड में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों का पूरा वेतन मिल चुका है। लेकिन जो सफाई कर्मचारी स्कूल, डिस्पेंसरियों और हॉस्पिटल में काम करते हैं, उनका पूरा वेतन नहीं मिला है। इसके अलावा उनकी बाकी मांगें भी अभी अधूरी है। जब तक सभी मांगें पूरी नहीं होती, तब तक कर्मचारी काम पर वापस नहीं लौटेंगे।