खुशबू काबरा, संवाददाता
नई दिल्ली। एनजीटी ने दिल्ली जल बोर्ड को यमुना में प्रदूषण फैलाने को लेकर फटकार लगाई है। प्रदूषण की काफी खराब स्थिति का जिम्मेदार उन कारख़ानों को ठहराया गया है, जिनसे निकलने वाली गंदगी और कचरे को सीधे नाले में बहा दिया जाता है। नालों का पानी यमुना में जा मिलता है, जिससे यमुना बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि सिवेज, विभिन्न प्रकार के प्रदूषकों अन्य प्रकार के कूड़ों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा हैं। इन समस्याओं का कुछ तो हल निकलना चाहिए। यमुना निगरानी समिति ने यह पाया है कि नजफगढ़ और शाहदरा के जल ग्रहण क्षेत्रों में 147 नालों में अपशिष्ट पदार्थ को नियंत्रित नहीं किया किया गया है। समिति ने इस बात का जिक्र किया है कि अपशिष्ट जल प्रवाहित किए जाने और सीवेज के शोधन के बीच एक बड़ा अंतराल है। साथ ही समिति ने उन सभी नालों को बंद करने तथा दूसरे नालों की ओर उनका प्रवाह मोड़ने की जरूरत बताई है, जिनमें अशोधित सीवेज प्रवाहित किया जा रहा है। ताकि अशोधित सीवेज नदी में नहीं जाए।
एनजीटी ने कहा कि इस तरह का कार्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी किये जाने की जरूरत है। सीवेज और प्रचुर मात्रा में जल शोधन के लिए आवश्यक उपकरण जरूरत के अनुरूप नहीं लगाए गए हैं। काफी मात्रा में धन उपलब्ध रहने के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड पेशेवर तरीके से काम नहीं कर रहा है।
एनजीटी ने कहा कि जल की गुणवत्ता अत्यधिक खराब है, क्योंकि प्रदूषकों को नलों में बहाया जाना अब भी जारी है। नदी में जल के बहाव को बाढ़ प्रभावित मैदान से नहीं बचाया जा रहा है। इस कारण नदी की पारिस्थितिकी को भी नुकसान हो रहा है। जागरूकता को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। एनजीटी ने कहा, कि प्रदूषण फैलाने वालों से मुआवजा वसूल किये जाने के सिद्धांत का सख्ती से पालन किये जाने की जरूरत है।