शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली।। वेतन और पेंशन की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल के साथ-साथ सभी एमसीडी विभाग के कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे है। दिन प्रतिदिन उनका प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। रोहिणी में 22 जनवरी को उनके प्रदर्शनों का नजारा गजब का आक्रामकता लिए हुए था। हजारों की संख्या में सभी कर्मचारियों ने एकसाथ मिलकर पैदल मार्च कर प्रशासन को जगाने की कोशिश की। आपकों बता दें कि यह प्रदर्शन रोहिणी से लेकर करीब ढाई किलोमीटर पीतमपुरा तक का था, जिसमें अलग-अलग विभाग के हजारों कर्मचारी शामिल हुए थे। सभी की मांग अपने रुके हुए वेतन और पेंशन को लेकर थी।
सभी कर्मचारियों ने इस बार भाजपा के साथ-साथ अंरविद केजरीवाल मुर्दाबाद के नारे भी लागाए। उनका कहना था कि हमें 5 से भी ज्यादा महीनों से वेतन नहीं मिला है। सरकार बस अपने बारे में सोंचती है। अगर अंरविद केजरीवाल को सच में दिल्ली की जनता की फ्रिक होती तो हमारे साथ ऐसा नहीं करती।
इस पैदल मार्च में कुछ ऐसे भी लोग थे, जिनके अंदर सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश था। उन सभी ने भाजपा और आप के खिलाफ नारे तो लगाएं ही पर सड़क पर लेटकर विरोध जताया। जब हमने उन लोगों से पूछा कि इस तरह से प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं, तो उन्होंने बताया कि सरकार ने हमें भिखारी बना दिया है। हम सरकार को बता देंगे कि हम भीख नहीं अपना हक मांग रहे हैं, क्योंकि 6 महीने से हमारा वेतन नहीं आया है। ऐसे में अब हमें अपनी सोयी हुई सरकार को इसी तरह से जगाना होगा।
आपको बता दें कि लगातार एमसीडी कर्मचारी अपने वेतन को लेकर महीनों से जगह-जगह प्रदर्शन करते रहे हैं। जिसके बाद सभी कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरु कर दी। जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तरी नगर निगम में देखने को मिला। सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से पूरी दिल्ली में कूडे का अंबार लगा हुआ है। जिसकी वजह से जगह-जगह कूड़ा होने से लोगों को भी परेशानी हो रही है। और उनका जीना मुहाल हो चुका है।
जब इस विषय में पैदल मार्च में मौजूद सफाई कर्मचारियों से पूछा गया कि एक तरफ सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं, वहीं दूसरी ओर दिल्ली कूड़े वाली दिल्ली बनती जा रही है। वे किसको दोषी मानते हैं? इसपर सभी कर्मचारियों ने एक सुर में भाजपा और दिल्ली सरकार का नाम लिया।
कर्मचारियों का कहना था कि जब दिल्ली सरकार पैसा देगी तो एमसीडी तो हमें खुद दे देगी। पर जब दिल्ली सरकार ही एमसीडी को पैसा नहीं दे रही है, तो कर्मचारियों को कहां से मिलेगा। इन सभी की परेशानी देखकर तो ऐसा ही लगा कि सभी कर्मचारी दो गुटो में बंटे हुए हैं। कोई भाजपा को दोषी मान रहा हैं, तो कोई आम आदमी पार्टी को।