शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली। देश में जहां एक तरफ कोरोना वायरस की वैक्सीन आने से लोगों ने राहत की सांस ली है, तो दूसरी ओर यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि जब वैक्सीन सुरक्षित है तो स्वास्थ्य कर्मी ही वैक्सीनेशन को लेकर पीछे क्यों हट रहे हैं? आपको बता दें कि 16 जनवरी से भारत में कोरोना के खिलाफ सबसे बड़े टीकाकरण की शुरुआत हो चुकी है। जिसमें दिल्ली कहीं न कहीं पिछड़ गया है। दिल्ली में पहले दिन तो टीका लगावानें वालें की संख्या अच्छी रही पर जैसे ही दूसरे चरण में वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई तो संख्या घटती दिखी। हालोंकि लोगों में इसे लेकर काफी उत्साह और संतोष है।
जब हमने दिल्ली के लोगों से पूछा कि उनको अपने देश में बनी कोरोना वैक्सीन पर कितना विश्वास है, तो उन्होंने इसका जवाब काफी शालीनता से दिया। उनका कहना था कि जब लोगों को अपने देश पर विश्वास है, तो देश में बनी वैक्सीन पर क्यों नहीं होगा। जब सरकार ने वैक्सीन तैयार की है, तो हम सभी जनता के लिए ऐसे में हम वैक्सीन पर विश्वास नहीं करते हैं, तो ये हमारे लिए बहुत शर्मसार करने जैसी बात होगी।
ऐसे में हमें कुछ लोग ऐसे भी मिले जो वैक्सीन पर विश्वास तो करते हैं, पर उनका कहना है कि जब तक हमें लग नहीं जाती हम पूरी तरह से विश्वास नहीं कर सकते। उनका कहना है कि सभी लोगों को भ्रमित होने की कोई जरुरत नहीं है। जब देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स के डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने बोला है कि वैक्सीन सुरक्षित है तो लोगों को विश्वास करना चाहिए। फिर जब तक लग नहीं जाती तब तक पूरा विश्वास हम नहीं कर सकते।
ऐसे में हमने लोगों से ये भी पूछा कि अगर उनका नंबर आता है, तो क्या वे तैयार हैं? इस पर उनका कहना था कि हम तो बेसब्री से इंतजार कर रहे है कि हमें वैक्सिन कब लगेगी। साथ ही देश में बनी वैक्सीन पर हमें पूरा विश्वास है।