नेहा राठौड़, संवाददाता
नई दिल्ली। पीने के पानी की कमी को लेकर दिल्लीवासी कई तरह की समस्याएं झेलने को मजबूर हैं। दिल्ली सरकार के इंतजामों के बावजूद किसी इलाके पानी नहीं आता है, तो कहीं पानी पीने लायक ही नहीं रहता।
स्लम इलाके में पानी टैंकर के जरिए उपलब्ध करवाई जाती है, जबकि बहुत सारे इलाके के लोग बाजार से पानी खरीदकर पीने की मजबूर हैं। कुछ समय से दिल्ली में पानी की कमी के कारण दिल्लीवासियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अब दिल्ली जल बॉर्ड ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया गया है।
राजधानी में पानी की कमी को दूर करने के लिए दिल्ली जल बॉर्ड को एक सफलता मिल है। अपर यमुना रिवर बोर्ड ने डीजेबी के यमुना में ट्रीट्रेड पानी को छोड़कर एक बार फिर ट्रीट कर सप्लाई करने के प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। डिजेबी के अधिकारियों ने बताया कि अपर यमुना रिवर बोर्ड से स्वीकृति लेने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ी।
इस प्रोजेक्ट के अनुसार कोरोनेशन पिलर ट्रीटमेंट प्लांट से ट्रीटेड पानी को पल्ला ले जाकर यमुना में छोड़ा जाएगा फिर इस पानी को वजीराबाद पॉन्ड से निकालकर दोबारा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट कर सप्लाई किया जाएगा। इससे ना सिर्फ दिल्ली को जरूरत का पानी मिलेगा बल्कि यमुना नदी भी साफ रहेगी।
सिंगापुर का मॉडल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल में इस प्रोजेक्ट की जुलाई 2018 में सिंगापुर के सीवरेज के पानी को शोधित कर दोबारा उपयोग करने के मॉडल की की घोषणा की थी। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में दो साल का समय लग सकता है। जिसमे पंपिंग स्टेशन और पाइपलाइन बिछेंगी।
बनाए नियम
यमुना अपर रिवर बोर्ड ने ट्रीटेड पानी को यमुना में छोड़ने के लिए नियम बनाए है। इसके अनुसार ट्रीटेड पानी का बीओडी और टोटल सस्पेंडेड सॉलिड को रेशो 10:10 होना चाहिए। ट्रीटेड पानी को एडवांस टेक्नोलॉजी मिक्रोफल्टरेशन से भी साफ करना होगा।
पल्ला ले जाकर यमुना में छोड़े गए पानी में से सिर्फ 80 प्रतिशत पानी ही वजीराबाद से निकाला जा सकेगा। बाकी 20 प्रतिशत यमुना में ही रहेगा। डीजेबी पल्ला और वजीराबाद पर फ्लो मीटर लगाने की योजना पर काम भी शुरू हो चुका है।