Friday, November 22, 2024
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700 स्कूल, तीन लाख बच्चे लेकिन एक को भी नहीं मिलीं कॉपी-किताबें

डिम्पल भारद्वाज, संवाददाता

नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई का दावा किया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष का शिक्षा सत्र खत्म होने जा रहा है। लेकिन निगम के 700 प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले करीब 3 लाख बच्चों में से एक को भी अभी तक किताबें, कॉपी या स्टेशनरी नहीं दी जा सकी है। यह खुलासा उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने सोमवार को बजट पर चर्चा के दौरान किया।

निगम की खस्ता हालत के लिए दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी एवं भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में शिक्षा, सफाई और स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में उत्तरी दिल्ली नगर निगम का प्रदर्शन शून्य रहा है। निगम विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबों-कॉपियों, स्टशेनरी, बस्ता, वर्दी, जूते और दूसरे मदों में पूरा शिक्षा सत्र बीत जाने के बावजूद एक पैसा जारी नहीं किया गया। आयुष और एलोपैथिक अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए दवाईयां तक नहीं खरीदी गईं। दूसरी ओर सफाई कर्मचारियों के वेतन व ऐरियर के साथ ही झाड़ू व अन्य सामान की कमी की वजह से पूरे साल जगह जगह कूड़े के ढेर लगे रहे, जो अब भी लगे हुए हैं।

निगम विद्यार्थियों को नहीं मिलीं किताबें, कापियां व स्टेशनरी

श्री मुकेश गोयल ने अपने बजट वक्तव्य में आंकड़े पेश करते हुए कहा कि वर्ष 2020-21 के लिए संशोधित बजट बढ़ाकर 1042 करोड़, 55 लाख, 80 हजार रूपये कर दिया है। इसके बावजूद इस साल छात्र-छात्राओं को वर्दी (यूनीफार्म) के लिए दी जाने वाले 1100 रूपये, स्कूल बैग के लिए दिये जाने वाले 120 रूपये, स्टेशनरी खरीदने के लिए दिये जाने वाले 150 रूपये, प्री-प्राइमरी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को खिलौने खरीदने के लिए 130 रूपये, प्री-प्राइमरी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं की वर्दी के 1100 रूपये, निगम प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति/जन जाति/ अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक वर्ग के छात्र-छात्राओं को स्टेशनरी खरीदने के लिए दिये जाने वाले 1 हजार रूपये की राशि में से एक रूपये का भी भुगतान नहीं दिया गया है।

छह माह का मिड डे मील लैप्स

मुकेश गोयल ने कहा कि निगम विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का वर्ष 2020-21 का जुलाई 2020 से दिसंबर 2020 तक का छह महीने का कच्चा मिड डे मील लैप्स हो गया। एफसीआई के गोदामों से कच्चा राशन उठाने के लिए दिल्ली सरकार ने निगम को 16 अक्टूबर, 2020 और 9 दिसंबर, 2020 को दो पत्र लिखे थे। जुलाई 2020 से बच्चों को हर महीने मिड डे मील के रूप में कच्चे राशन की किट उपलब्ध करायी जानी थी। निगम की ओर से दावा किया गया है कि मार्च से जून 2020 तक के मिड-डे मील का अलाउंस बच्चों के खातों में जारी किया गया है। लकिन सच्चाई यह है कि नगर निगम मई और जून महीनों के मिड-डे मील का नकद भुगतान भी अभी तक नहीं कर पाया है।

चुनावी जुमला हैं ‘आहार वैन’ व ‘क्योस्क’ योजना

श्री मुकेश गोयल ने कहा कि स्थायी समिति अध्यक्ष द्वारा ‘आहार वैन योजना’ और ‘पार्कों में क्योस्क’ योजना की घोषणा केवल चुनावी जुमला हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित वार्ड के 25 हजार रूपये सालाना आय वाले बेरोजगार युवाओं को ‘आहार वैन’ और पार्कों में क्योस्क का आबंटन किया जायेगा। लेकिन क्या पार्षदों द्वारा जारी किये गए 25 हजार रूपये की वार्षिक आय के प्रमाण पत्र मान्य होंगे? क्योंकि आय प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार केवल राज्य सरकार के एसडीएम के पास होता है।

दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार यदि मनमानी नहीं करती तो नगर निगमों की हालत खस्ता नहीं होती। उन्होंने कहा कि आसानी से समझा जा सकता है कि इसमें से औसतन हर वार्ड के हिस्से में सालाना करीब एक करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि आती है। इस राशि से हर वार्ड में बड़े स्तर पर विकास कार्य कराये जा सकते थे, जो कि फंड रोके जाने की वजह से नहीं कराये जा सके।

कांग्रेस के कार्यकाल में निगम को मिला ज्यादा फंड

मुकेश गोयल ने तुलनात्मक आंकड़े पेश करते हुए कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। उन्होंने ने 6 वर्षां में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को मिलने वाले फंड में 4563.10 करोड़ रुपये की कटौती कर दी।

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