नेहा राठौर, संवाददाता
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद्द करने पर अड़े किसानों को 75 दिनों से ज्यादा हो गए हैं। इस आंदोलन में भारतीय नेताओं के साथ-साथ अब विदेश से भी समर्थन मिल रहा है। इस पर अंतराष्ट्रीय मंच पर चर्चा होने लगी है, जबकि इसमें महज तीन राज्यों पंजाब, हरियाणा और आंशिक तौर पर उत्तर प्रदेश के किसान ही शामिल हैं। इस आंदोलन में विदेशी ऐक्टिविस्ट द्वारा किसानों को दिए जा रहे समर्थन में बार-बार नए औजार के रूप में ‘टूलकिट’ का नाम आ रहा है।
क्या है टूलकिट ?
बता दें कि टूलकिट एक तरह का दस्तावेज है। आज के मौजूदा दौर में दुनिया के अलग- अलग हिस्सों में जो भी आंदोलन होते हैं, चाहे वह किसी भी चीज पर हो जैसे ब्लैक लाईव्स मैटर या अमेरिका का एंटी-लॉकडाउन प्रोटेस्ट हो, किसी पर भी हो। सभी जगह आंदोलन से जुड़े लोग कुछ ‘एक्शन पॉइंट्स’ तैयार करते हैं यानी कुछ ऐसी चीज़ों की योजना बनाते है जो आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए मदद कर सके। इन ‘एक्शन पॉइंट्स’ को कागजों पर तैयार किया जाता है इसे ही टूलकिट कहते है।
टूलकिट का उद्देश्य
टूलकिट शब्द का इस्तेमाल सोशल मीडिया में ज्यादा किया जाता है। इस दस्तावेज में सोशल मीडिया की रणनीति के अलावा भौतिक रूप से सामूहिक प्रदर्शन करने की जानकारी भी दी जाती है। इस टूलकिट को ज्यादातर उन लोगों के बीच शेयर किया जाता है, जिनकी मौजूदगी से आंदोलन के प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिले। ऐसे में इस दस्तावेज को किसी आंदोलन की रणनीति का अहम हिस्सा कहना गलत नहीं होगा। इसे आप दीवारों पर लगाये जाने वाले पोस्टर का परिष्कृत और आधुनिक रूप भी कह सकते हैं, जिसका इस्तेमाल सालों से आंदोलन करने वाले लोग अपील या आह्वान करने के लिए करते रहे हैं।
इस दस्तावेज का मुख्य उद्देशय लोगों को आंदोलन में शामिल करना और इसे कैसे आगे बढ़ाना है इसकी जानकारी लोगों को देना। टूलकिट में आमतौर पर यह बताया जाता है कि लोग क्या लिख सकते हैं, कौन से हैशटैग इस्तेमाल कर सकते हैं, किस वक़्त से किस वक़्त के बीच ट्वीट या पोस्ट करने से फ़ायदा होगा और किन्हें ट्वीट्स या फ़ेसबुक पोस्ट्स में शामिल करने से फ़ायदा होगा।
पुलिस ने की एफआईआर
यह शब्द टूलकिट देश में चल रहे किसान आंदोलन में भी सुनने को मिल रहा है। हाल हीं में किसानों के समर्थन में उतरी अमेरिका पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रटा थनबर्ग ने टूलकिट को अपने ट्वीटर पर शेयर किया और डिलिट कर दिया था बाद में उन्होंने बताया की वह पुराना था। दिल्ली पुलिस इस टूलकिट को लिखने वालों की तलाश कर रही है। पुलिस ने इसे लिखने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा-124ए, 153ए, 153, 120बी को तहत केस दर्ज किया है, लेकिन फिलहाल इस एफआईआर में किसी का नाम शामिल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि पुलिस गूगल को एक पत्र लिखाने वाली है ताकि इस टूलकिट को बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने वाले लोगों का आईपी एड्रेस निकाला जा सके।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर प्रवीर रंजन के अनुसार हाल के दिनों में लगभग 300 सोशल मीडिया हैंडल पाये गए हैं, जिनका इस्तेमाल घृणित और निंदनीय कंटेंट फैलाने के लिए किया जा रहा हैं। कुछ वेस्टर्न इंटरेस्ट ऑर्गनाइजेशन द्वारा इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, जो किसान आंदोलन के नाम पर भारत सरकार के ख़िलाफ़ ग़लत प्रचार कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने 4 फरवरी को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा था कि “ये टूलकिट खालिस्तानी समर्थक संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के द्वारा बनाया गया है। इसे पहले अपलोड किया गया और फिर कुछ दिन बाद इसे डिलीट कर दिया गया।”
क्या है इस टूलकिट में
4 फरवरी को ग्रेटा ने दूसरी बार किसानों के समर्थन में ट्वीट किया था। इसी के साथ उन्होंने एक टूलकिट भी शेयर किया था, जिसके साथ उन्होंने लिखा, ‘ये नई टूलकिट है जिसे उन लोगों ने बनाया है जो इस समय भारत में ज़मीन पर काम कर रहे हैं। इसके ज़रिये आप चाहें तो उनकी मदद कर सकते हैं।‘
यह टूलकिट तीन पेजों का है। इसमें सबसे ऊपर एक नोट लिखा हुआ है, जिसके अनुसार यह एक दस्तावेज़ है जो भारत में चल रहे किसान आंदोलन से अपरिचित लोगों को कृषि क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और किसानों के हालिया प्रदर्शनों के बारे में जानकारी देता है।
नोट में लिखा है कि “इस टूलकिट का मक़सद लोगों को यह बताना है कि वो कैसे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए किसानों का समर्थन कर सकते हैं.” इसमें लिखा है कि आप इस आंदोलन को समर्थन किस तरह दे सकते है जैसे इसमें सुझाव दिया गया है कि लोग #FarmersProtest और #StandWithFarmers हैशटैग्स का इस्तेमाल करते हुए, किसानों के समर्थन में ट्वीट कर सकते हैं.” और “लोग अपने स्थानीय प्रतिनिधियों को मेल कर सकते हैं, उन्हें कॉल कर सकते हैं और उनसे पूछ सकते हैं कि वो किसानों के मामले में क्या एक्शन ले रहे हैं.”
समर्थन में ऑनलाइन-पिटीशन
इस टूलकिट में किसानों के समर्थन में कुछ ऑनलाइन-पिटीशन साइन करने की भी अपील की गई है, जिनमें से एक ऑनलाइन-पिटीशन तीनों कृषि बिल वापस लेने की है। टूलकिट में लोगों से आह्वान किया गया है कि “वो संगठित होकर, 13-14 फ़रवरी को पास के भारतीय दूतावासों, मीडिया संस्थानों और सरकारी दफ़्तरों के बाहर प्रदर्शन करें और अपनी तस्वीरें #FarmersProtest और #StandWithFarmers के साथ सोशल मीडिया पर डालें।”
टूलकिट में लोगों से किसानों के समर्थन में वीडियो बनाने, फ़ोटो शेयर करने और अपने संदेश लिखने को कहा गया है। इसमें लोगों को सुझाव दिया गया है कि वो किसानों के समर्थन में जो भी पोस्ट करें, उसमें प्रधानमंत्री कार्यालय, कृषि मंत्री और अन्य सरकारी संस्थानों के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को शामिल करें।
इस टूलकिट में दिल्ली की सीमाओं से शहर की ओर किसानों की एक परेड या मार्च निकालने का भी ज़िक्र है और लोगों से उसमें शामिल होने की अपील की गई है। मगर इसमें कहीं भी लाल क़िले का ज़िक्र नहीं है और ना ही किसी को हिंसा करने के लिए उकसाने जैसा कुछ है। पुलिस को अभी तक इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाई है। इसकी जांच जारी है।