Friday, November 8, 2024
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किसान आंदोलन की आड़ में नहीं बनना चाहिए एक और शाहीनबाग

काव्या बजाज, संवाददाता

नई दिल्ली।। कृषि कानून को लेकर किसान अभी भी विरोध जता रहे हैं उनका कहना है कि सरकार जितनी भी कोशिश कर ले पर वह काले कानूनों पर विरोध बंद नहीं करेंगे। कानून पर सियासी लड़ाई अभी भी जारी है। इसी बीच भाजपा के सांसद भुवनेश्वर कालीता ने कहा कि सभी कानून संसद में चर्चा के बाद ही पास होते है और इस कानून के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। तो किसानों को कृषि बिल पर आंदोलन की आड़ में इसे शाहीन बाग नहीं बनाना चाहिए।

सदन में बजट सत्र के दौरान विपक्षी पार्टियों का हंगामा जारी रहा। कृषि बिल पर बहस के दौरान भी वह कानून को वापस लेने की मांग पर डटे रहे। भाजपा का कहना है कि विपक्षी पार्टियां और किसान हिंसा होने के बाद भी बातचीत को तैयार नहीं है। वह अभी भी कानून वापसी की मांग पर डटे हैं।

किसानों ने 26 जनवरी को जो हिंसा की उससे राजधानी को काफी ज्यादा नुकसान पहुँचा है और लोगों को भी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ी थी। लेकिन विपक्षी दल इस घटना को नज़रअंदाज़ कर संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं। सरकार और किसानों की कानून पर कई बार बातचीत हो चुकी है और सरकार आगे भी इस पर बात करने को तैयार है। उनका कहना था कि लेकिन वह एक अपील करना चाहते हैं कि इस आंदोलन के जरिए एक और शाहीनबाग नहीं बनना चाहिए।

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