काव्या बजाज, संवाददाता
नई दिल्ली।। संसद में बजट सत्र के दौरान किसान कानून और आंदोलन को लेकर बहस पर तकरार 5 फरवरी को चरम पर तब पहुंच गया जब कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों पर बात करते हुए विपक्ष से पूछा कि वे उसमें खामियां बताएं। तोमर ने कानून के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस कानून से किसान टैक्स देनें से बचेंगे, जबकी राज्य के कानूनों में ऐसा नहीं है। विपक्षी पार्टियाँ हमेशा से ही आरोप लगाती आई हैं कि यह काले कानून है। तो सभी पार्टियां बताएं कि कानूनों में कहा कमी हैं।
कृषि मंत्री के सभी से सवाल करने के बाद विपक्ष इस मुद्दे को कही और ही लेकर चला गया। उन्होंने सरकार और कानूनों पर कई तरह के आरोप लगाए। कभी इसमें रिहाना का जिक्र हुआ, तो कभी ग्रेटा का। यहां तक कि शिव सेना के संजय राउत ने तो भाजपा पर आरोप भी लगा दिया।
शिव सेना के राज्य सभा सांसद संजय राउत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी के बाद से कुछ किसानों का पता नहीं चल पा रहा है, क्या उनका एंकाउंटर कर दिया गया है? साथ ही उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कहती है कि वह तीनों कृषि कानून किसानों के हित में ले कर आए हैं और यह उनके भले के लिए है, लेकिन जब किसानों को ही यह कानून नहीं चाहिए तो सरकार कानून वापस क्यो नहीं ले लेती।
दीप सिद्धू पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिस इंसान ने लाल किले पर झंडा लगाया वह किसका आदमी है। जब किसानों को दिल्ली की सीमा में जाने की अनुमति ही नहीं थी तो वह कड़ी सुरक्षा होने के बावजूद लाल किले के अंदर कैसे घुस आए? यह बात किसी की भी समझ में नहीं आ रही है।
मोदी सरकार शुरुआत से ही कहती आई है कि किसान आंदोलन हाईजैक हो चुका है और कई बार किसानों पर इसी तरह के झूठे आरोप भी लगाए जा चुके हैं। जिससे देश के सामने उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि किसानों को रोकने के लिए जो इंतज़ाम किए जा रहे हैं वो अगर बॉर्डर पर किए जाते तो चीन कभी भारत की सीमां के अंदर प्रवेश ही नहीं कर पाता। सरकार को लगता है कि वह यह सब कर के जनता को भटका सकते है लेकिन ऐसा कभी नहीं होगा। दो महीने से चल रहे आंदोलन में कई बार सरकार एक दूसरे पर आरोप लगाती आई है जो अभी भी जारी है।