डिम्पल भारद्ववाज, संवाददाता
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता और वरिष्ठ निगम पार्षद मुकेश गोयल ने 12 फरवरी को बजट-चर्चा के दौरान आप पार्षदों द्वारा किये गए हंगामे के साथ-साथ बीजेपी पार्षदों की टिप्पणियों की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई और इससे बजट की दशकों पुरानी परंपरा टूट गई। दोनों दलों के पार्षदों के व्यवहार की वजह से नगर निगम की बठकों में माहौल लगातार बिगड़ता जा रहा है और कभी भी आप व बीजेपी पार्षदों के बीच मारपीट की नौबत आ सकती है।
उन्होंने कहा कि बजट पर चर्चा के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में विरोध प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए था, लेकिन आप पार्षदों ने ऐसा कर मजबूत विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई। मुकेश गोयल ने आगे कहा कि शोर के चलते जल्दबाजी में बजट प्रस्ताव पारित कर दिये गए और किसी को कुछ सुनाई ही नहीं पड़ा। कांग्रेस की ओर से बजट के दौरान कई प्रस्ताव लाए गए थे और कई संशोधन भी किए गए थे। उनका क्या हुआ पता नहीं चला। यदि रद्द करने के समय रहते पता चल जाता तो उन पर कांग्रेस पार्टी की ओर से डिवीजन की मांग अवश्य की जाती। डिवीजन में किसी भी प्रस्ताव के पक्ष और विपक्ष में सभी पार्षदों द्वारा हस्ताक्षर किये जाते हैं, जिससे यह तय होता है कि उस प्रस्ताव को स्वीकारा जाना चाहिएय, अथवा नहीं।
मुकेश गोयल ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी नेता सदन (लीडर ऑफ द हाउस) की होती है, लेकिन वर्तमान नेता सदन के गैर संवेदनशील, घमंडी और तानाशाही पूर्ण रवैये की वजह से सदन की बैठकों का माहौल लगातार खराब होता जा रहा है। बीजेपी के नेता सदन ने कभी सदन की कार्यवाही चलाने के लिए विपक्ष के नेताओं के साथ बात ही नहीं की। जिसकी वजह से उनके कार्यकाल के दौरान एक भी बैठक सही ढंग से नहीं चल पाई है। यहां तक कि सत्ता पक्ष के पार्षद भी नेता सदन के नियंत्रण में नहीं हैं और वह भी आप पार्षदों के साथ सदन की कार्यवाही को बाधित करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी और आम आदमी पार्टी के पार्षद आपस में एक-दूसरे के ऊपर गंभीर रूप से व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी करते हैं। जिसकी वजह से सदन की बैठकों में लगातार माहौल बिगड़ता जा रहा है। किसी भी दिन सदन की बैठक में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के पार्षदों में मारपीट हो सकती है। उन्होंने कहा कि यदि कुछ मुद्दों पर विरोधाभास है तो दोनों दलों के नेताओं को एक साथ बैठकर हल निकाला जाना चाहिए। ताकि नगर निगम की बिगड़ती हालत को सुधारा जा सके