Sunday, November 24, 2024
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अशोक विहार -सौदे -समझौते और साजिश के सवालों के साथ अग्रवाल वेलफेयर सोसाइटी चुनाव सर्व सम्मति से सम्पन्न

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो

अशोक विहार। आगामी 4 अप्रील को होने वाले अग्रवाल वेलफेयर सोसाइटी के चुनाव दोनों संभावित पैनलों में हुए समझौतों के बाद सर्वसम्मति से सम्पन्न तो हो गए लेकिन सोसाइटी के कई सदस्यों के बीच नाराजगी और सवाल अभी भी जारी है। लाखों रुपये सोसाइटी का खर्च कर कोर्ट के ऑब्जर्वर की मांग की गयी थी लेकिन चुनावों की नौबत ही नहीं आयी और बहुत ही नाटकीय ढंग से हुयी आम सहमति रूपी समझौते ने सर्व सम्मति बना दी। इस सर्व सम्मति में अनिल गुप्ता (घी ) वाले प्रधान चुने गए है बाकी के आठ सदस्य विरोधी पैनल डॉ एच सी गुप्ता और नंदकिशोर गर्ग के लिए गए है। हालांकि डॉ एचसी गुप्ता ने इसे एक साजिश बताया है। नाराजगी यानी है की वरिष्ठ उपप्रधान डॉ राजेश सिंघल के इस्तीफे देने की चर्चाएं है। राजेश सिंघल डॉ एचसी गुप्ता के भतीजे है। इनके इस्तीफे दिए  जाने की चर्चाओं की पुष्टि खुद डॉ एचसी गुप्ता ने अपनी पत्रिका से की है। 

गौरतलब है की सोसाइटी में चुनाव सही समय पर कराये जाने की मांग को लेकर अनिल गुप्ता कोर्ट चले गए थे। कोर्ट की कुछ प्रक्रियाओं के बाद चुनाव कोर्ट की नागरानी में 4 अपील को होने निश्चित हो गए। पूर्व प्रधान पवन गुप्ता के आकस्मिक निधन के बाद सोसायटी के बदल सियासी माहौल में जो दो संभावित पैनल बने उनमें एक अनिल गुप्ता का और दूसरा नंदकिशोर अग्रवाल का पक्का मना जा रहा था। नंदकिशोर अग्रवाल के चुनाव की कमान डॉ एचसी गुप्ता संभाल रहे थे। चुनाव में नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख से ठीक एक दिन पहले नंदकिशोर गर्ग के आवास पर मीटिंग हुयी जिसमें तय हुआ की किसी कारणों से वे चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनकी जगह डॉ एचसी गुप्ता पधान पद का चुनाव लड़ेंगे। पूरा पैनल भी तैयार हो गया। अनिल गुप्ता घी वाले भी अपना पैनल लगभग बना चुके थे। इस बीच समाज के कुछ वरिष्ठ लोगों के सुझाव पर सर्वसम्मति की चर्चाएं भी शुरू हो गए। इसमें अनिल गुप्ता घी वाले ग्रुप से प्रस्ताव आया। इस प्रस्ताव में अनिल गुप्ता घी वाले को प्रधान और बाकी के सभी पदों पर डॉ एचसी गुप्ता पैनल को देने पर सहमति हुयी। यानी इस प्रस्ताव में डॉ एचसी गुप्ता चुनाव लड़ने से पहले ही प्रधान पद की दावेदारी से बहार हो रहे थे। माहौल कुछ ऐसा बना की डॉ एचसी गुप्ता पैनल की तमाम प्रत्याशी अनिल गुप्ता के पक्ष में हो गए। सामाजिक सौहार्द और मान अपमान हवाला देकर हवा कुछ ऐसे बनाई की न चाहते हुए भी  डॉ एचसी गुप्ता को अपना नाम वापस लेना पड़ा। अनिल गुप्ता ग्रुप ने डॉ एचसी गुप्ता को खुश करने के लिए उनके भतीजे राजेश सिंघल को वरिष्ठ उपप्रधान बना दिया। डॉ एचसी गुप्ता इससे खुश नहीं है और अब फिर से पत्र वार कर इसे बड़ी साजिश बता रहे है।

 सोसाइटी में हुए इस आम सहमति ने सभी को चौंका  दिया है। सोसाइटी की सियासत में इसे अनिल गुप्ता घी वाले का बड़ा दाव मना जा रहा है। अनिल गुप्ता ने विरोधी पैनल के सभी संभावित प्रत्याशियों को निर्विरोध चुने जाने का वादा कर डॉ एचसी गुप्ता को अकेला कर दिया। उनके पैनल के लोग भी उन पर दबाव बनाने लगे और उन्हें उनकी बात माननी पड़ी। अनिल गुप्ता ने डॉ एचसी गुप्ता के भतीजे को बेशक वरिष्ठ उपप्रधान बनाया लेकिन यह पद केवल सजावटी माना जाता है। उनके पास समर्थन और सहयोग देने के अलावा कोई काम नहीं है।  डॉ गुप्ता के नाराजगी की भी यही वजह है। डॉ गुप्ता का कहना है कि यह चुनाव नहीं चालाकी है। वे चुनाव आयुक्त की भूमिका पर भी सवाल उठा रहे है। उनका कहना है की नामांकन वापसी का समय सांय 7 बजे था लेकिन विड्रॉवल रात साढ़े दस बजे क्यों लिए गए। हालांकि डॉ एचसी गुप्ता का भी विड्रॉवल साढ़े दस बजे ही हुआ। अनिल गुप्ता का कहना है कि समाज  में चुनाव टालने और आपसी भाईचारा बनाने के लिए हमारे ग्रुप ने त्याग किया। अनिल गुप्ता ग्रुप के सदस्य दीपक जिंदल का कहना है की डॉ एचसी गुप्ता खुद जोड़ तोड़ की राजनीति कर रहे थे। लेकिन हमने आम सहमति बनाने के लिए त्यागी किया तो उन्हें तकलीफ हो रहे है और वे समाज में पत्र निकाल कर सवाल उठे रहे है। बहरहाल सोसाइटी के आम चुनावों में बेशक आम सहमति बन गयी हो लेकिन संग्राम अभी थमा नहीं है। हलाकि लगता नहीं कि डॉ एचसी गुप्ता की नाराजगी की कोई परवाह और असर नव नियुक्त कार्यकारणी पर होने वाला है।

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