-दिल्ली दर्पण संवाददाता
दिल्ली। दिल्ली के तीनों नगर निगम में मेयर के चुनाव होने है। इसके लिए 19 अप्रैल को मेयर सहित सभी पदों के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी जिसे कोरोना को देखते हुए 26 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। किस निगम में मेहर कौन होगा इस पर पार्टी में भी मंथन हो रहा है और राजनैतिक हलकों में भी चर्चाएं हो रही है। नियम अनुसार अप्रैल महीने में नए मेयर को सदन की बैठक की अध्यक्षता करनी होती है। और अप्रैल में केवल एक सप्ताह ही बचा है। ऐसे में सभी दावेदारों की धड़कनें तेज़ है और पार्टी में मंथन के साथ महाभारत हो रहा है। नामांकन के बाद चुनाव 30 अप्रैल को होंगी और उसके तुरंत बाद सदन की बैठक भी सम्पन्न हो जाएगी।
आम आदमी पार्टी ने यहाँ भी बीजेपी से पहले अपने नेता विपक्ष के नामों की घोषणा कर दी है। नार्थ एमसीडी में नेता विपक्ष विकास गोयल के काम काज को देखते हुए पार्टी ने उन्हें रिपीट करने का मन बनाया तो विवादों से बचने के लिए बाकी तीनों नामों पर भी अपनी मोहर लगा दी। नेता विपक्ष के रूप में विकास गोयल सदन और सदन के बहार बीजेपी के भ्र्ष्टाचार पर जोरदार प्रहार किये है। इस चुनावी साल में ने अच्छे विपक्ष की भूमिका में आम आदमी पार्टी नजर आयी। आम आदमी पार्टी में एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक आये दिन जिस तरह से प्रेस कांग्रेस कर बीजेपी को आड़े हाथों लेते रहे उसने बीजेपी को बचाव की मुद्रा में ला दिया। आम आदमी पार्टी चाहती है की इस चुनावी साल में आदमी आदमी पार्टी चाहती है विपक्ष की आवाज इसी तरह बुलंद रहे ताकि इसका लाभ चुनवों में मिल सके।
बीजेपी के लिए भी यह साल बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए बीजेपी भी ज्यादा छेड़छाड़ नहीं चाहती। नार्थ एमसीडी मेयर जेपी को छोड़ दें तो बाकी निगमों में बीजेपी कोई ख़ास कमल नहीं दिखा पायी। बावजूद इसके तीनों मेयर इस दलील के साथ फिर से अपने को रिपीट करने के लिए पूरा जो लगा रहे है कि कोरोना काल में उन्होंने बेहतरीन काम किया है। लेकिन उन्हें अभी तक कोई ठोस आश्वाशन नहीं मिला। बाकी के तीनो पद नेता सदन , और स्थायी समिति अध्यक्ष खुद मेयर बनने के लिए पार्टी के बड़े नेताओं के चक्कर लगा रहे है। नार्थ एमसीडी महापौर जय प्रकाश (जेपी ) का काम काज विषम परिस्थितियों में भी प्रशसनीय बताया जा रहा है।
खबर है की प्रदेश प्रभारी सिद्धार्थन जेपी को रिपीट करना चाहते है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता इस सवाल के साथ विरोध कर रहे है कि केवल जेपी ही क्यों ? यदि रीपीट करना है तो तीनों को करना चाहिए। स्थिति यह भी बन सकती है की ज्यादातर मामलों में नेता सदन , स्थायी समिति अध्यक्ष और महापौर को ही आपस में बदल दिया जाए। इसी अदला बदली में कुछ नयी चहरे भी उपमहापौर , डीडीए के सदस्य और स्थाई समिति सदस्यों में लिए जा सकें। इसी सभावना को देखते हुए नार्थ एमसीडी में ऋतू गोयल ,अलोक शर्मा , नीरज गुप्ता , मनीष चौधरी जैसे नाम भी चर्चा में लाये जा रहे है। चर्चाएं कुछ भी कहें लेकिन सच्चाई यह है की अगले साल होने जा रहे नगर निगम चुनाव को देखते हुए पार्टी हर पहलु और समीरकण के साथ साथ यह भी चाहेगी की वह मौजूदा नेताओं में ज्यादा छेड़छाड़ ने करें। लेकिन मेयर पद पर वह जरूर सामाजिक समीकरणों को देखना चाहेगी। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि बीजेपी की राजनीति में वैश्य और पंजाबी समाज का बोलबला कम नहीं है। नार्थ एमसीडी में तीन बार महापौर का पद वैश्य समाज को मिल चुका है। पंजाब समुदाय में अवतार सिंह हित महापौर बने लेकिन यह दलित कोटे में गिने गए है। ऐसे में संभावना यही है की बीजेपी किसी पंजाबी को मेयर बनाये। नार्थ एमसीडी में इस कसौटी पर मौजूदा नेता सदन योगेश वर्मा है। नार्थ एमसीडी अपने काम काज को लेकर पूरी चर्चा में रही। लिहाज़ा बीजेपी नहीं चाहती की कोरोना और चुनावी साल को देखते हुए ज्यादा छेड़छाड़ की जाये। क्योकि अगले साल होने जा रहे चुनावों की रणनीति निगम में बैठे इन्हे पार्षदों के सर पर होगी। ऐसे किसी भी नए चेहरे को सामने लाना चुनावी साल को देखते हुए ठीक नहीं होगा। उन्हें काम और सियासत समझने में समय लग सकता है। ऐसे में सभव है कि योगेश वर्मा , जेपी। छैल बिहारी , ऋतू गोयल आदि में ही अदला बदली हो जाये।
पूर्वी नगर निगम में भी कुछ ही नाम चर्चा में है। इस नगर निगम की हालत बहुत ही खराबा रही है। अब तक पूर्वी नगर निगम में नीमा भगत , विपिन बिहारी , अंजू कांडपाल , और मौजूदा महापौर निर्मल जैन है। स्थाई समिति अध्यक्ष पर प्रवेश वर्मा , मास्टर सत्यपाल सिंह ,और संदीप ठाकुर रह चुकें है। नेता सदन पर संतोष पाल , निर्मल जैन ,प्रवेश वर्मा जिम्मेदारी संभाल चुकें है। पार्टी भी मानती है की पूर्वी नगर निगम का कार्यकाल संतोष जनक नहीं है. लिहाज़ा बदलाव की बयार यहाँ बह जतो रही है लेकिन ऐसे योग्य पार्षदों की तलाश है जो नगर निगम और पार्टी की छवि को बिहार कर सके।
साउथ एमसीडी कमलजीत सहरावत, नरेंद्र चावला, सुनीता कांगड़ा और अनामिका मिथलेश सिंह महापौर पद पर रह चुके हैं। स्थाई समिति अध्यक्ष पर बतौर भूपेंद्र गुप्ता, शिखा राय और राजदत्त गहलोत जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। इनके अलावा दक्षिणी दिल्ली में नेता सदन के तौर पर शिखा राय, कमलजीत सहरावत और नरेंद्र चावला काम संभाल चुके हैं। यानी यहाँ भी कुछ अनुभवी चेहरे है जो मुख्य जिम्मेदारी संभाल चुकें है। लिहाज़ा इस इलाके की सामाजिक समीरकण और योग्यता को देखकर पार्टी एक मजबूत टीम देना चाहेगी। यहाँ मेयर के दौड़ में जो प्रमुख नाम लिए जा रहे है उनमें नरेंद्र चावला ,तुलसी जोशी , नंदनी शर्मा , भूपेंद्र सूर्यान लिए जा रहे है। बीजेपी की कोशिस रहेगी की वह तीनो नगर निगम में ऐसे चहेरे सामने लाये जो न केवल अनुभवी हो बल्कि दिल्ली में जातीय समीकरणों के हिसाब भी उसके अनुकूल हो। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा की दिल्ली के तीनों नगर निगमों में मेयर के रूप में मुखिया और अन्य पदों पर कौन चुना जाता है।