नेहा राठौर, संवाददाता
नई दिल्ली। कोरोना के चलते पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है, ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आए दिन किसी न किसी चीज की कमी सामने आ रही है। पहले बेड फिर ऑक्सीजन और अब शमशान में लकड़ियां। दिल्ली में जहां एक तरफ मरीजों को अस्पताल में इलाज के लिए बेड नहीं मिल पा रहा है, वहीं मरने के बाद अब श्मशान में भी उन्हें जलाने के लिए लकड़ी नहीं है।
दरअसल लगातार हर दिन कोरोना संक्रमितों की मौत के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं, जिसके कारण नगर पालिका के श्मशान घाटों में शवदाह के लिए लकड़ी की कमी होने लगी है। इसलिए नगर निगम ने राज्य के वन विभाग से मदद की मांग की है।
जानकारी के अनुसार, लकड़ी की व्यवस्था करने के लिए नगर पालिका की एजेंसियों ने राज्य के वन विभाग से संपर्क किया है। इस समस्या का समाधान करने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने अपने अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि ईंधन के रूप में सूखे गोबर को इस्तेमाल किया जाए। बता दें कि शहर के सबसे बड़े निगमबोध घाट श्मशान घाट में दूसरी लहर के आने से पहले हर दिन 6,000-8,000 किलोग्राम लकड़ी की जरूरत होती थी, लेकिन अब हर रोज 80,000-90,000 किलोग्राम लकड़ी की जरूरत होती है।
इस मामले में पर नॉर्थ एमसीडी का कहना है कि श्मशान घाटों में लकड़ी का स्टॉक बड़ी तेजी से घट रहा है। इसी कारण नगर निगम को पार्किंग स्थल और पार्कों में श्मशान सुविधाएं बनानी पड़ रही हैं। वहीं, जैसे –जैसे संक्रमित मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है, श्मशान में भी लकड़ी की आवश्यकता काफी बढ़ गई है, इसलिए हमें दिल्ली सरकार के सहयोग की जरूरत है ताकि लकड़ी की मांग को पूरा कर सकें।