Thursday, November 21, 2024
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कोरोना काल में बच्चों के अवसाद का क्या है कारण ?

तेजस्विनी पटेल, संवाददाता

नई दिल्ली।। कोरोनकाल दुनिया के लिए एक ऐसा समय है, जिसके बारे में हर कोई चिंतित है। इतना ही नहीं बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। भले ही कोरोना बच्चों को इतनी आसानी से पकड़ने में सक्षम नहीं है, लेकिन यह समय उनमें नई समस्याएं पैदा कर रहा है। हालाँकि इस समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, लेकिन इसे गंभीरता से लेना बहुत ज़रूरी है। बच्चों में अवसाद और तनाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिसके लक्षण वे स्वयं पहचान नहीं पा रहे हैं।

बच्चों का अवसाद चिंता का विषय

बच्चों में बढ़ते अवसाद और तनाव के साथ समस्या यह है कि वयस्कों की तरह, यह बच्चों और किशोरों में आसानी से पहचाना नहीं जाता है। उनके व्यवहार और बदलते रवैये को पकड़ पाना आसान नहीं है, इसलिए यह परिवार के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए भी चिंता का विषय है। उन्हें समझ नहीं आता कि ऐसी स्थिति में बच्चों की मदद कैसे की जाए।

इस तरह का अवसाद, अच्छी बात नहीं

न्यूयॉर्क में चाइल्ड माइंड इंस्टीट्यूट के नैदानिक ​​मनोवैज्ञानिक रेचल बुशमैन का कहना है कि बच्चों में अवसाद और चिंता बिल्कुल भी अच्छी बात नहीं है क्योंकि हम बचपन को मासूमियत से देख रहे हैं। 6-12 वर्ष के बच्चों की उम्र खेलने और कूदने की उम्र है; इस उम्र में, गंभीर अवसाद दिखने लगा है। दूसरी ओर, चिंता विकार बच्चों में भी दिखाई देते हैं।

इस तरह पहचानें लक्षण

बच्चों में इस अवसाद के संबंध में, पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा की प्रोफेसर मारिया कोवाक्स का कहना है कि बच्चों में दुःख को अवसाद के लक्षणों के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। आप इन लक्षणों को अच्छी तरह से पहचान सकते हैं। साथ ही, जो चीजें वे नियमित रूप से करते हैं, अगर वे नहीं कर रहे हैं, तो यह संभव है कि वे अवसाद का शिकार हो गए हैं।

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