नेहा राठौर, संवाददाता
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार रात आई आंधी और बारिश की बौछार मानसून के आने का पैगाम साथ लाई है। हल्की बारिश से जहां दिल्लीवासियों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली है, वहीं मानसून के आने से पहले ही इमारतों का गिरना भी शुरू हो गया है।
गौरतलब है कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में एक इमारत ढह जाने से दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक छात्र की मलबे में दबकर मौत हो गई। हाल ही में घटी इस घटना ने मानसून में हर साल हादसों को रोकने के लिए होने वाले निगमों के सर्वे पर सवाल खड़े किये हैं। बता दें कि इससे पहले मुंबई में भी एक चार मंजिला इमारत गिर गई थी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई। मामले में तीनों निगमों के सर्वे की पड़ताल की गई तो, पता चला की अभी तक इमारतों के सर्वे का काम पूरा नहीं हुआ है।
SDMC का सर्वे कार्य
इस पर दक्षिणी नगर निगम का दावा है कि सर्वे का 74 प्रतिशत काम लगभग पूरा हो चुका है। यानी 11 लाख, 44 हजार, 954 इमारतों में से 6 लाख, 50 हजार, 267 इमारतों का सर्वे किया जा चुका हैं। सर्वे के बाद इनमें से करीब 4 इमारतों को खतरनाक बताया गया है।
NDMC का सर्वे कार्य
वहीं उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सर्वे का आंकड़े के अनुसार फिलहाल 83 लाख, 4 हजार, इमारतों में से 65 लाख, 52 हजार, 219 इमारतों का सर्वे पूरा हो चुका है। सर्वे के बाद इनमें से 265 इमारतों को मरम्मत कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं 424 इमारतों को खतर घोषित किया गया है।
इस पर पूर्वी दिल्ली नगर निगम का दावा है कि सर्वे को मॉनसून तक पहुंचने से पहले ही पूरा कर लिया जाएगा। वहीं एक रिटायर्ड इंजीनियर का कहना है कि पुरानी दिल्ली में और करीब 2000 अनधिकृत कॉलोनियों में हादसे का खतरा ज्यादा है, क्योंकि दोनों ही जगहों पर अवैध निर्माण किया गया है।