नेहा राठौर
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली दंगा मामले में विधानसभा की शांति व्यवस्था समिति के समन भेजने के विरोध में फेसबुक द्वारा दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को आईना दिखाया।
जस्टिस संजय किशन कौल समेत जसिटिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने दोनों सरकारों से कहा कि इस केस में दोनों सरकारों का साथ काम करना जरूरी है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली दंगों के लिए पुलिस और सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराए जाने वाले मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि लोकहित के काम आपसी सामंजस्य से ही किए जाते हैं। हर काम को करने की एक राह होती है, सिर्फ उसे पहचानना की नजर होने चाहिए।
इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि यह सोच रखना बिल्कुल गलत है कि सिर्फ हमारी ही सोच सही है और बाकी सब गलत। हर इंसान को हाईवे पर भी दोनों ओर देखते हुए अपना रास्ता खुद चुनना होता है। मामले पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि पहले भी केंद्र और दिल्ली में अलग-अलग विचारधाराओं वाली सरकारें रहीं है, लेकिन कभी भी दिल्ली में उठापटक के मामले कोर्ट तक नहीं पहुंचे है। पिछले कुछ सालों से ही यह सब ज्यादा हो रहा है, ये स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
कोर्ट ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार का कब्जा है, लेकिन विधानसभा चुनावों के परिणाम देखे जाएं तो वो बहुत अलग आये हैं। ऐसा स्थिति दिल्ली में दो बार आ चुकी है। इससे मतदाताओं की परिपक्व सोच का पता चलता है। बिल्कुल ऐसी ही परिपक्वता सरकार को चलाने वालों में भी होनी चाहिए।
साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि उनको भी थोड़ी गंभीरता से बर्ताव करना चाहिए। किसी भी समस्या को बातचीत कर सरलता से हल किया जा सकता है। बजाय कि अदालतों में अपना श्रम-पैसा और समय बर्बाद करें। बता दें कि दिल्ली हिंसा को लेकर विधानसभा की समिति ने फेसबुक को समन भेजा था, जिसके खिलाफ फेसबुक में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में कोर्ट ने याचिका को रद्द कर दिया है।