संवाददाता
भाजपा से निष्काषित नांगलोई वार्ड की निगम पार्षद ज्योति रछौया ने अब पार्टी नेतृत्व पर ही गंभीर आरोप लगा दिये हैं। उनके निशाने पर भाजपा दिल्ली प्रदेश संगठन महामंत्री सिद्धार्थन और प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता हैं। पार्टी से निष्काषित पार्षद ज्योति रछौया ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिख कर संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार और पक्षपात समेत और भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं और खुद को बीजेपी की समर्पित कार्यकर्ता बताया है। ज्योति रछौया का कहना है कि चूँकि वह सुंदर नहीं दिखती इसलिये संगठन महामंत्री उन्हें भाव नहीं देते जबकि अन्य सुंदर दिखने वाली महिला निगम पार्षदों से घंटों बातें करते हैं। प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता पर पार्टी फंड से अपने घर भरने का आरोप है। जिस तरह की भाषा और आरोपों का इस्तेमाल ज्योति रछौया द्वारा जेपी नड्डा को लिखे पत्र में किया गया है उससे यह चर्चा चल पड़ी है कि जब उन्हें पार्टी के शीर्ष नेताओं से इतनी परेशानी थी तो इसके खिलाफ आवाज़ पहले क्यों नहीं उठाया? क्या वह पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता पाए जाने के बाद सस्पेंशन का इंतजार कर रही थीं?
उनके करीबी जानकारों के मुताबिक इसके पीछे की असल सच्चाई कुछ और है। दरअसल 6 जुलाई को सम्पन्न उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नरेला जोन चेयरमैन चुनाव में ज्योति रछौया ने अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार अंजू अमन कुमार को हरवाने के उद्देश्य से काम किया। वोटिंग के दिन वह अनुपस्थित हो गई। इसके अलावा भाजपा के एक अन्य निगम पार्षद सविता खत्री भी अनुपस्थित रही। भाजपा को समर्थन देने वाली पूनम सहरावत ने भी खुलेआम बगावत कर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में अपना वोट दिया जिसके कारण बहुमत के बावजूद भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा। इस हार के कारण भाजपा उत्तर पश्चिमी दिल्ली के नेतृत्व समेत प्रदेश स्तर तक बड़े नेताओं की किड़कीड़ी हुई।
प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने इस पर कार्यवाही करते हुए दो निगम पार्षदों को 6 साल के लिये निलंबित कर दिया। लेकिन निलंबन के आदेश आने के बाद अब ज्योति रछौया खुद को पाक साफ साबित करने के तमाम प्रयास कर रही हैं और इस प्रयास में उन्होंने संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पर ही भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा दिये।
इस क्रम में अब आपको रछौया एंड फैमिली की हकीकत से भी रूबरू करवाना आवश्यक है। दरअसल ज्योति रछौया नांगलोई से भाजपा नेता चतर सिंह रछौया के भाई की पत्नी हैं। इससे पहले चतर सिंह की पत्नी भूमि रछौया नांगलोई वार्ड से निगम पार्षद रही हैं। रछौया परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप पहले से ही हैं और इनके चाल चरित्र से क्षेत्र की जनता भी बखूबी वाकिफ़ है। फर्जी पेंशन की बात हो या कम्युनिटी सेंटर निर्माण में घोटाले के साथ मार्किट बना कर कब्जे की, चतर सिंह रछौया का नाम दर्जनों बार गलत कारणों से चर्चा में रहता है। इनके बारे में यह भी कहा जाता है कि दलित प्रताड़ना ऐक्ट का इस्तेमाल ये अपने सबसे मारक हथियार के रूप में करते हैं और चतर सिंह के इशारे पर ही ज्योति रछोया ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में भी दलित कार्ड खेल कर खुद को उपेक्षित बताया है।
वस्तविकता यह है कि जब 2017 निगम चुनाव में भाजपा ने सभी पार्षदों का टिकट काट कर नए उम्मीदवार उतारने का फैसला किया तब रछोया परिवार के मुखिया चतर सिंह ने तमाम तिकड़म लगाते हुए अपने भाई की पत्नी को टिकट दिलवा कर उम्मीदवारी परिवार में ही रख ली। जबकि शीर्ष नेतृत्व के यह सख्त निर्देश थे कि किसी भी मौजूदा पार्षद के किसी भी रिश्तेदार या परिवार के सदस्य को न तो टिकट मांगनी है और न ही उन्हें दिया जाएगा।
जब तक पार्टी को इस बात का पता चला तब तक चतर सिंह अपनी चतुराई से टिकट ज्योति रछौया को दिलवा चुके थे लेकिन इस कारण पार्टी में उनकी छवि खराब हो गई। अब निगम चुनाव 2022 से पहले बताया जाता है कि चतर सिंह लगातार आम आदमी पार्टी पर डोरे डाल रहे हैं और जोन के चुनाव में भी रछौया ने अपनी चालाकी दिखाते हुए डील तो भाजपा उम्मीदवार से की लेकिन ऐन मौके पर डबल क्रॉस करते हुए एब्सेंट हो गई। इससे पहले भी रछौया परिवार का इतिहास रहा है कि वह किसी पार्टी के सगे नहीं रहे हैं और दिल्ली में आम आदमी पार्टी छोड़ शायद ही कोई पार्टी होगी जिसके ये हिस्सा न रहे हों।
अब इनकी इच्छा आम आदमी पार्टी में शामिल हो कर निगम टिकट पाने की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या आम आदमी पार्टी ऐसे नेताओं को अपनी पार्टी में जगह देगी? नंगलोई वार्ड बाहरी दिल्ली के मुंडका विधानसभा क्षेत्र में आता है। जगजाहिर है कि मुंडका के मौजूदा विधायक धर्मपाल लाकड़ा और चतर सिंह रछौया के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। दोनों के बीच के घमासान कोर्ट तक भी पहुँचे लेकिन आज कल चतर सिंह विधायक धर्मपाल लाकड़ा पर कुछ भी बोलने से बचते हैं। अपने समाज के काम करवाने के नाम पर निगम चुनावो की आहट को देखते हुए चतर सिंह अपनी चिर परिचित राजनीति शुरू कर चुके हैं। लेकिन जानकारी आ रही है कि आम आदमी पार्टी उनको लेना नहीं चाहती और भाजपा अब उन्हें रखना नहीं चाहती। अनिश्चितता के दलदल में फँसे रछौया को आखिरकार किस दल में जगह मिलेगी यह देखना होगा। कुल मिलाकर दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 से पहले एक बार फिर दिल्ली में राजनीति गर्म और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। ऐसे में बग़ावती सुर फूटना भी लाज़मी है लेकिन सूत्र बताते हैं कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व और जिला नेतृत्व में समन्वय ठीक न होने के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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