Friday, November 8, 2024
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भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा से जुडी 10 बातें , जिसके बाद शायद आप आशीर्वाद न दे

ब्यूरो रिपोर्ट , दिल्ली दर्पण टीवी

केंद्र सरकार की नीयत और नीतियों के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ाने के लिए दो केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं हरदीप सिंह पुरी और मीनाक्षी लेखी ने सोमवार को दिल्ली में अपनी ‘जन आशीर्वाद यात्रा’  का शुभारंभ किया।

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ शुरू करने से पहले सोमवार को दिल्ली के तिलक नगर में फतेह नगर गुरुद्वारे में मत्था टेका। वहीं, विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने एक टीकाकरण केंद्र से जन आशीर्वाद यात्रा रवाना की।

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अपनी मंत्रियो के परिचय और केंद्र में भाजपा की उप्लाभ्दिया जनता तक पहुंचने के  लिए भाजपा ने यह जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की। अब इस यात्रा पर कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं।

1- जब सरकार के पास प्रचार के लिए अखबार ,टीवी और सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म है तो यह जन आशीर्वाद यात्रा क्यों ?

कई लोगों का कहना है कि सरकार अपने सभी कामों के प्रचार के लिए अखबार और टीवी के माध्यम इस्तेमाल करती है तो फिर कोरोना के समय में जहाँ दिल्ली में 3 लहर का डर बना हुआ है ऐसे में भीड़ के साथ यह यात्रा करना बहुत जरुरी था भाजपा के लिए ?

2- इन जन आशीर्वाद यात्रा में सिर्फ कार्यकर्त्ता ही क्यों नज़र आते है ?

रथ पर चढ़े हुए केंद्रीय मंत्री और साथ में भाजपा के बड़े नेता और आगे चलते  मोटरसाइकिल पर भाजपा के कार्यकर्त्ता , हर 500 मीटर पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा मंच लगा कर स्वागत करना , लेकिन इस जन यात्रा में जनता नदारत रही , जनता दूर दूर तक नहीं दिख रही थी , केवल फूल और मालाओं की बारिश करते भाजपा कार्यकर्त्ता ही नज़र आये।

3- रथ पर चढ़ कर यह कैसा जन आशीर्वाद ?

हमारे देश की सभ्यता यह कहती है कि अगर किसी का आशीर्वाद लेना है तो आपको उसके नज़दीक जाना होगा , उसके सामने सर को झुकाना भी होगा , लेकिन इस आशीर्वाद यात्रा में दोनों केंद्रीय मंत्री पुरे रास्ते रथ पर ही चढ़े रहे , और वही से मालाओं का आदान प्रदान करते रहें , जिन कार्यकर्ताओं ने लाखो रूपये लगा कर मंच सजाया , दिन रात लगायी उनसे भी नहीं मिले केंद्रीय मंत्री।

4- कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जिया उड़ती दिखी इस आशीर्वाद यात्रा

दिल्ली ने कुछ महीने पहले ही दूसरी लहर का महा प्रकोप देखा था और दूसरी लहर का डर भी लोगो में बना हुआ है। ऐसे में इस तरह की आशीर्वाद यात्रा जिसमे न तो मास्क नज़र आया , न सामाजिक दुरी। जनता को  एक बार फिर से कोरोना का वो मंज़र न याद दिलवादे।

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5- अनधिकृत कॉलोनियों की रजिस्ट्रेशन का क्या हुआ ?पी एम् उदय

एक साल पहले विधानसभा चुनावो के समय केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने ही शहरी विकास मंत्री रहते हुए पी एम् उदय योजना की शुरुआत की थी। जिसमे सभी दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों की रजिस्ट्रेशन का प्रावधान था लेकिन चुनाव हारने के बाद यह योजना भी ठन्डे बास्ते में चली गयी। अब अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाली जनता मंत्री जी को कोनसा आशीर्वाद देगी?

6- यात्रा के दौरान खूब हुई आतिशबाजियां

दिल्ली में प्रदुषण को देखते हुए दिल्ली में दिवाली पर पटाखों पर भी बैन लगा दिया था ताकि गैस चैंबर बनी हुई दिल्ली को प्रदुषण से आजादी मिले। भाजपा के नेता विजय गोयल खुद प्रदुषण का विरोध करते है और दिल्ली सरकार पर आरोप भी लगाते है , लेकिन इस जन यात्रा में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जो पटाके फोड़े उनको नॉन पोलुशन सर्टिफिकेट शायद विजय गोयल जी से ले लिया गया था .

7- बिना हेलमेट और सेफ्टी से फर्राटे दार मोटरसाइकिल पर यात्रा .

जितने भी कार्यकर्त्ता मोटर साइकिल या स्कूटी पर थे किसी ने भी हेलमेट का इस्तेमाल नहीं किया , दिल्ली पुलिस वैसे तो बिना हेलमेट वालो पर कार्यवाही करने के लिए जानी जाती है लेकिन ऐसे यात्रा में शायद हेलमेट वाला कानून दिल्ली पुलिस भूल जाती होगी।

8- यह आशीर्वाद यात्रा कहीं 2022के चुनावो के लिए तो नहीं थी ?

ऐसा इसीलिए कहा जा रहा है कियुँकि इस आशीर्वाद यात्रा के बिच जहा भी मंच सजाया गया उसकी जिम्मेदारी निगम चुनाव में रूचि रखने वाले व्यक्ति को दी गयी थी ,एहि टिकट के लालच में भी बहुत ज्यादा खर्च स्वागत में कर गए।

9- दिल्ली की जनता फिर भी भाजपा को आशीर्वाद क्यों नहीं देती है ?

22  सालो से भाजपा दिल्ली में नहीं जीत पा रही है इसका मतलब दिल्ली की जनता की जनता का आशीर्वाद भाजपा के साथ कभी नहीं रहा , आशीर्वाद यात्रा निकालने से बेहतर तो लोगो से यह पूछना ज्यादा बेहतर होता की हमसे क्या गलती हो गयी है जो हमको आशीर्वाद नहीं देते हो।

10- जन आशीर्वाद यात्रा में जो खर्चा हुआ उस पैसे से जनता के लिए कुछ और भी सकता था ?

औसतन एक यात्रा 15 से 16 किलोमीटर की थी जिसमे लगभग 30 मंच लगाए गए थे हर मंच पर ढेरो बैनर्स , कुर्सियां ,फूलो की बारिश , मालाएं , घोड़े बग्गी जैसे इंतज़ाम को देख कर हर मंच का 2 -3  लाख रूपये का खर्चा आया होगा ही यानि की लगभग 1  करोड़ के आसपास की एक यात्रा ,पड़ी होगी , अगर इस पैसे को कोरोना के बुरे समय में कहीं अच्छे से इस्तेमाल करते तो शायद जनता दिल से आशीर्वाद दे देती। 

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