-महामारी से सैकड़ों मवेशियों की मौत से ग्रामवासी दहशत
-बाहरी दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में पशुओं में फ़ैली महामारी
-कई गावों में हज़ारों पशुओं की मुंहखोर बिमारी से हुयी मौत
-इस वर्ष पशुओं का नहीं हुआ टीकाकरण ,पशुओं मेंफैला संक्रमण
-विकास अधिकारी ने दिए जांच के आदेश :-डॉ नरेश कुमार
–सुरभि रोशन ,दिल्ली दर्पण
मुंडका -बाहरी दिल्ली के मुंडका इलाके के हिरन कूदना गावं के घर घर में मातम का माहौल है। यह मातम है उनके मवेशियों की हो रही मौतों का। ऐसा ऐसा शायद ही कोइ घर हो जिसके किसी जानकार के किसी ने किसी मवेशी की मौत न हुयी हो। कई घर तो ऐसे है जिनके यहाँ दो-दो या तीन-तीन मवेशी मर गए है और कई बीमार है। केवल हिरन कूदना गावं में ही करीब 100 के आस पास मवेशियों की मौत हो चुकी है। ये गांव वाले अपनी आँखों के सामने अपनी गाय और भैसों को मरते हुए देख रहे है और वे सिवाए रोने के कुछ कर नहीं पा रहे है।
इस खबर के संज्ञान में आने के बाद दिल्ली दर्पण टीवी ने हिरन कूदना गावं का दौरा कर रियलिटी चेक की। जब हमारी टीम पहुंचे तो गांव में मीटिंग चल रही थी। गावं के निवासी और कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी डॉ नरेश कुमार ने बताया कि दिल्ली सरकार ने इस वर्ष पशुओं का टीकाकरण नहीं कराया। बारिश से पहले पशुओं को मुंहखोर और गलघोंटू बीमारी से बचाने के लिए हर वर्ष ठीके लगाए जाते है। इस वर्ष यह टीके नहीं लगे जिसके वजह से यह बीमारी फ़ैली और बाहरी दिल्ली सैकड़ों गावों में हज़ारों मवेशियों की मौतें हो गयी। अभी भी हज़ारों मवेशी बीमार है।
लोगों की दिक्कत है की उनके आस पास पशु चिकित्सक कभी मवेशियों के अस्पताल में उपलब्ध नहीं होते। डॉ नरेश कुमार के अनुसार इसकी शिकायत उपराजयपाल के साथ साथ सभी जगह की गयी है लेकिन सरकार गावं वालों की इस गंभीर समस्या पर ध्यान ही नहीं दे रही है। डॉ नरेश कुमार का कहना है की दिल्ली सरकार हर साल मवेशियों की वेक्सिनेशन करती है लेकिन वर्ष यह नहीं हुआ जिसके चलते यह महामारी तेज़ी से पशुओं में फ़ैल रही है। सबसे ज्यादा इस महामारी का शिकार गायें ही हो रही है। इनके पैरों में कीड़े लग रहे है और तड़प तड़प कर मर रही है। भैसों ने दूध देना बंद कर दिया है यह फिर भैंसे भी तड़प तड़प कर मर रही है।
गोशालाओं में तो और भी बुरी हालत है। ग्रामीण वासियों का कहना है की बाहरी दिल्ली में हज़ारों पशुओं की मौत हो चुकी है पर प्रशासन सोया हुआ है। स्थानीय विधायक कभी इलाके में आते ही नहीं। सरकारी पशु चिकित्सक कभी अस्पताल में मिलते नहीं। गांव वालों को अपने निजी खर्च पर पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है।
इस बारें में मुंडका के स्थानीय विधायक धर्मपाल लकड़ा के प्रतिनिधि और उनके पुत्र सुनील लकड़ा से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि उनके पास महामारी या बीमारी से किसी भी मवेशी के मरने की खबर नहीं है। दिल्ली दर्पण टीवी की सूचना के बाद सुनील लकड़ा ने पशु चिकित्सक डॉ विक्रम का हवाला देते हुए जानकारी कहा की उनकी जानकरी में केवल 10 से 12 पशुओं की मौत की जानकारी है। सुनील ने डॉ नरेश कुमार दावों को ग़लतफ़हमी करार दिया।
दिल्ली दर्पण टीवी की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया की स्थिति इससे कहीं ज्यादा भयावह है। जितने मवेशियों के मरने का दावा सरकारी पशु चिकित्सक कर रहे है। बहरहाल यह मामला ग्राम वासियों में दहशत और चिंता का विषय बना हुआ है। पशुओं की मौत केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़ा मामला ही नहीं है बल्कि ग्रामीण अपने मवेशियों से अपने परिजन के तरह लगाव भी रखते है। यही वजह है की गावों में मातम का माहौल है। सरकार इसकी जांच के आदेश दे चुकी है। अब यह महामारी ही है या इसमें सरकारी लापरवाही भी है यह जांच का विषय है।