राजेश जैन ,दिल्ली दर्पण
जैन नगर (कराला )मुंडका विधान के कितनी ही इलाके पानी में पूरी तरह जलमग्न है। कराला 40 फुटा मेन रोड और उसके आसपास की गलियों में की स्थिति भी बहुत ही भयावह है। इन गलियों में दो से तीन फुट बरसाती पानी जमा हो गया है। जिससे कीचड़ होने के कारण वहां से कहीं भी आना जाना दूभर हो गया है। जगह-जगह सड़कें टूटी पड़ी है जिस की सुध लेने वाला कोई नहीं है। एक स्थानीय निवासी सुनील के अनुसार ” लोगों का जीना मुश्किल है, कितने ही लोग घरों में कैद होने पर मजबूर है। यह बरसाती पानी कई कई दिन जमा रहता है। कीचड़ तो जैसे इस इलाके की किस्मत बन गयी है।
स्थानीय निवासी सुनील कुमार ने कहा कि इन सब समस्याओं पर स्थानीय पार्षद जयेन्द्र डबास व विधायक धर्मपाल लकड़ा को भी समय समय पर बताते रहे है। वे मौके पर आतें तो है लेकिन समाधान करने की बजाये सियासत कर चले जातें है। इस समस्या के लिए विधायक और निगम पार्षद इसकी जिम्मेदारी और दबाब एक दूसरे पर लगाकर अपना पल्ला झाड़ कर चले जातें है। धर्मपाल लकड़ा को तो जैसे अब राजनीति में रूचि ही नहीं है। जयेन्द्र डबास का कहना है की दिल्ली सरकार ने जैन नगर में एक भी रोड और नाली नहीं बनाई जिसकी वजह से यह जलबहाव हुआ है। दिल्ली सरकार का बढ़ नियंत्रण विभाग तो जैसे सोया हुआ है। यही हाल यहां के शिव मंदिर ब्लॉक, नजदीक नाग मंदिर के आसपास की गली नंबर 5-6 का भी है। खाली पड़े प्लॉटों में पानी भरने के कारण आसपास के मकानों में भी बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है। जिससे लोग अपने मकानों में ही डर के साए में जीने को मजबूर है। कुछ लोग तो अपने मकान छोड़कर सुरक्षित जगहों पर किराए पर भी रहने चले गए। पानी में सांप तैरते रहते है जिससे यहां के लोग हमेशा खौफजदा रहते हैं । स्थानीय जन प्रतिनिधियों से निराश लोगों ने पी एम, सी एम तक गुहार लगाई है लेकिन कही से कोइ उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके मन्त्रियौं को भी मेल द्वारा शिकायत की जा चुकी है। इन सब पर संज्ञान लेना तो दूर उन्हें जबाब तक नहीं मिल रहे है।
स्थानीय निवासी सुनील कुमार शर्मा और राजेंद्र कुमार ने बताया की घरों से बहार निकला मुश्किल है बात केवल इतनी ही नहीं है, घर के बहार उनके वाहन पानी में खड़े है जिसके वजह से उनके स्कूटर , कार ऑटो खराब हो रहे है। सडकों पर गड्डे ऐसे कि गाड़ी सवार गाड़ी चलते समय खतरे का अनुभव करता है। दुर्घटना होने की सभावना यहाँ हमेशा बनी रहती है। बाहरी दिल्ली के इन इलाकों के लोगों का दर्द है कि हादसों के बाद जितना पैसा मुआवजा के तौर पर बाटा जाता है इससे कम में तो लोगों की समस्याएं दूर की जा सकती है , और जान माल के नुकसान को भी रोका जा सकता है। लेकिन नहीं, मुआवजे देते वक्त तो फोटो इत्यादि खिचवाकर इन्हे अपनी राजनीति चमकाने का अवसर मिल जाता है | शायद इसीलिये ये किसी भी समस्या के विकराल होने का इंतजार करते हैं |