जूही तोमर
दिल्ली में 2022 के नगर निगम चुनाव की तैयारी बड़े जोर शोर से चल रही है। सभी राजनीतिक पार्टियां अब मिठाई परोसने को तैयार है। जी हां, ज्यादा सोचिए मत, खाने वाली मिठाई नहीं। यहां बात हो रही है मीठा बनने ,मीठी वाणी और मीठे वादों की, जो अब सभी पार्टियां जनता को परोसने में लगी हुई हैं।
ऐसे अनेक मुद्दे हैं, जिससे जनता परेशान है , पर क्या ये जनता की आवाज़ बन रहे हैं या फिर मुद्दे को उठाकर राजनीति करके अपनी निगम में जगह बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं । जहां एक तरफ निगम चुनाव में वोट पाने के लिए बीजेपी झुग्गी सम्मान यात्रा निकाल रही है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस पोल खोल यात्रा निकाल रही है और वही आप पार्टी की बात करें तो निगम कर्मचारी के वेतन को अपना मुद्दा बनाकर उनके हक की लड़ाई लड़ने पर तुली हुई है। अगर इसे सही ढंग से देखा जाए तो हर पार्टी जनता के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही और एक दूसरे के खिलाफ लगातार आरोप लगा रही हैं, पर क्या इससे जनता की परेशानी दूर हो रही है या फिर जनता इस राजनीति के बीच पिस रही है।
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अब कांग्रेस दिल्ली में 12 दिसंबर को बढ़ती मंहगाई को लेकर बड़ी रैली का आयोजन करने वाली है । कांग्रेस अब बीजेपी पर हमलावर होगी और महंगाई के मुद्दे को लेकर विशाल रैली का आयोजन करेगी। इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल तो यह उठता है कि पार्टियों को जनता की समस्या चुनाव के वक्त ही क्यूं याद आती है ? अब जनता का फैसला होगा कि निगम में किसको मौका देना है ।
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