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नई दिल्ली। पिछले करीब एक साल से चला आ रहा किसान आंदोलन अब खत्म होने की कगार पर है। हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा या बयान सामने नहीं आया है और भारतीय किसान संगठन के नेता राकेश टिकैत ने स्पष्ट कहा है कि वे पहले सरकार द्वारा मांगें माने जाने वाली चिटठी को पढेंगे, समझेंगे तब घर जाने का फैसला लेंगे।
उधर कुछ मीडिया खबरों में कहा गया है कि 11 दिसंबर से सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम जगहों से किसान घर वापसी शुरू कर देंगे। इसके बाद 13 दिसंबर को किसान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अरदास करेंगे और अपने घरों को पहुंच जाएंगे।
पहले कृषि कानूनों की वापसी और अब एमएसपी, मुआवजा और मुकदमों को खत्म करने को लेकर केंद्र सरकार से लिखित आश्वासन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन को फिलहाल खत्म करके घर लौटने का ऐलान किया है। मोदी सरकार ने एमएसपी पर कमिटी बनाने का ऐलान पहले ही कर दिया था अब तुरंत प्रभाव से आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केसों को खत्म करने की मांग भी मान ली है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल की ओर से लिखे गए लेटर के बाद किसानों ने 14 महीने बाद आंदोलन खत्म करने की घोषणा की है।
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केंद्र सरकार की तरफ से भेजी गई चिट्ठी संयुक्त किसान मोर्चा को मिल गई है। इस चिट्ठी के मिलने के बाद आंदोलन खत्म होगा या नहीं इसपर मंथन जारी है।
बताया जा रहा है कि सरकार ने किसानों की सभी मांगें मान ली हैं। उसके बाद से ही कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अब किसानों का आंदोलन जल्द खत्म हो जाएगा। लेकिन इस बीच राकेश टिकैत ने साफ किया है कि अगर सरकार ने कोई हेराफेरी की तो हम कहीं नहीं जाएंगे, यहीं रहेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा को केंद्र सरकार की तरफ से मिली चिट्ठी को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया सामने आई है। राकेश टिकैत ने कहा, सरकार की ओर से जो चिट्ठी मिली है उसे पहले हम सही से पढे़ंगे। उसका अर्थ क्या है वो समझ कर हमारे 5 लोग हैं वो आपको जवाब देंगे। अगर हेराफेरी होगी तो फिर हम यहीं हैं, कोई कहीं नहीं जाएगा।
बुधवार की शाम को केंद्र सरकार की ओर से एमएसपी, मुआवजा और मुकदमा समेत कई मुद्दों पर किसानों की मांगें माने जाने के बाद कहा जा रहा है कि किसानों और सरकार के बीच सुलह की स्थिति बनी है। किसान संगठनों की प्रतिनिधि संस्था संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में सरकार के नए प्रस्ताव पर राजी होने पर सहमति बनी है। जिसके बाद कहा जा रहा है कि अब 14 महीनों से चला आ रहा किसानों का आंदोलन अपने अंतिम पड़ाव पर है।
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