Friday, November 22, 2024
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वाल्मीकि समाज की चिंतन बैठक में कहा गया, आजादी के बाद भी भेदभाव, वाल्मीकि मंदिरों की प्रबंधक कमेटी बने

ब्यूरो रिपोर्ट

नई दिल्ली। धार्मिक स्थलों, मंदिरों और पुजारियों की समस्याओं, चिंताओं और चिंतन में अब दिल्ली का वाल्मीकि समाज भी शामिल हो गया है। दिल्ली में वाल्मीकि मंदिरों की समस्याओं को लेकर यहां चाणक्य पुरी में भगवान वाल्मीकि मंदिर में वाल्मीकि समाज की मंदिर चिंतन बैठक हुई। बैठक में समूची दिल्ली के लगभग सभी वाल्मीकि मंदिरों के प्रतिनिधि शामिल हुए। इन प्रतिनिधियों में समाज के बुद्धिजीवी वकील, शोधार्थी व अन्य शिक्षित लोग उपस्थित थे। बैठक में मुख्य तौर पर गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की तर्ज पर वाल्मीकि मंदिर प्रबंधक कमेटी बनाने का सुझाव रखा गया।
इस चिंतन बैठक में आप्रवासी अमेरिकी भारतीय समाजसेवी करनैल सिंह मुख्य अतिथि थे।
मंदिरों को लेकर वाल्मीकि समाज की चिंतन बैठक में मुख्य तौर पर वक्ताओं ने वाल्मीकि समाज और उनके मंदिरों की उपेक्षा व भेदभाव का मुददा उठाया गया।


मंदिर के प्रमुख पुजारी ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी वाल्मीकि समाज सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक और शैक्षणिक स्तर पर भेदभाव का शिकार है।
दिल्ली में 30 से 40 लाख वाल्मीकि रहते हैं लेकिन दिल्ली में हमारी राजनीतिक हैसियत कुछ नहीं है। पहले कांग्रेस ने शोषण किया, फिर केजरीवाल आए। उन्होंने सफाई कर्मचारियों के लिए कई वादे किए, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। केजरीवाल ने वाल्मीकि समाज की कोई भी समस्या का समाधान नहीं किया।

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उन्होंने कहा कि मंदिर, गुरूद्वारों में एमपी, विधायक, मंत्री, पार्षद, एनजीओ जाते हैं और दान देते हैं लेकिन वाल्मीकि मंदिरों को इनमें से कोई भी दान नहीं करता। यह इतना बड़ा भेदभाव किसी को दिखाई नहीं देता। धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं, उनके लिए फंड की व्यवस्था होती है। गुरूद्वारों के लिए फंड की व्यवस्था है। छठ पूजा के लिए फंड है लेकिन वाल्मीकि मंदिरों के लिए कोई फंड नहीं है। यह भेदभाव है।


उन्होंने कहा कि चाणक्य पुरी में स्थित उनके इस मंदिर में दो-दो महापुरूषों की समाधियां हैं, दिल्ली सरकार ने वाल्मीकि जयंती मनाने वाले संगठनों को 50-50 हजार रूपए देने की बात कही थी लेकिन दो रूपए भी नहीं दिए गए। दिक्कत यह है कि वाल्मीकि समाज संगठित नहीं है। हम लोग संसाधन विहीन हैं। असंगठित समाज का हर जगह शोषण होता है।
पुजारी ने कहा कि दिल्ली में 150-200 वाल्मीकि मंदिर हैं। इन मंदिरों की प्रबंधक कमेटी बनाई जाए।


उन्होंने बैठक में एक खास सुझाव देते हुए कहा कि धार्मिक स्तर पर तमाम मंदिरों को संगठित किया जाए। वाल्मीकि मंदिरों की एक संयुक्त प्रबंधक कमेटी गठित होनी चाहिए, जो सभी मंदिरों की तमाम समस्याओं को देखें।
बैठक के मुख्य अतिथि करनैल सिंह ने कहा कि आप लोग खुद को कमजोर न समझें। आप कमजोर नहीं हैं। आप सनातन धर्म की धरोहर हों।

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करनैल सिंह ने कहा कि मंदिर एक ऐसी जगह है, जहां मतभेद खत्म हो जाते है। अब हर वाल्मीकि मंदिर के आगे एक सफाई कर्मचारी नियुक्त होगा, जो साफ-सफाई का ध्यान रखेगा। दिल्ली के हर मंदिर में भगवान वाल्मीकि की मूर्ति स्थापित होगी। जहां मूर्ति नहीं है, वहां मैं स्थापित करवाउंगा।
भारतीय वाल्मीकि जन समाज के राष्ट्रीय मुख्य संचालक चरणसिंह बर्बरीक ने कहा कि दिल्ली में वाल्मीकि समाज बहुत बड़ा है, लेकिन इस समाज की धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक स्तर पर लंबे समय से उपेक्षा हो रही है। समाज के मंदिरों की उपेक्षा हो रही हेै। दिल्ली सरकार मौलवियों को वेतन दे रही है। छठ पूजा के लिए फंड दे रही है पर हमारे साथ हर राजनीतिक पार्टी का व्यवहार उपक्षित रहा है।
उन्होंने कहा कि अब हम मंदिरों की एक संयुक्त कमेटी बनाएंगे। सभी मंदिरों का केंद्रीयकरण करेंगे और हम तय करेंगे कि हमें किन लोगों का समर्थन करना है, किन का नहीं करना है।

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