Sunday, November 24, 2024
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दिल्ली से शुरू रोटी आंदोलन से लगातार समाजसेवी और बुद्धिजीवी नागरिकों का जुड़ना जारी

प्रियंका आनंद


नई दिल्ली। आज़ादी के 70 साल बाद भी देश में एक बड़ी आबादी अपने रोटी, कपड़ा और मकान के मौलिक अधिकार से दूर है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है, रोजी- रोटी अधिकार। इस अधिकार को जन-जन तक पहुंचाने के लिए दिल्ली से आंदोलन की शुरुआत हुई है। रोटी आंदोलन प्रमुख समाज सेवी सुखबीर शर्मा की अगुवाई में चल रहे इस रोटी मूवमेंट से बड़े-बड़े समाज सेवी और बुद्धिजीवी जुड़ रहे हैं। रविवार को दिल्ली में इस आंदोलन से जुड़े लोगों को नियुक्त पत्र दिए गए।


यूएन सदस्य प्रो मार्कण्डेय राय ने दिल्ली में कई लोगों को नियुक्ति पत्र दिए। इस अवसर पर प्रमुख लोगों ने इस आंदोलन की जरूरत को पत्रकारों के सामने रखते हुए कहा गया कि यह आंदोलन किसी भूखे को रोटी खिलाने तक सीमिति नहीं हैं, बल्कि यह लड़ाई ऐसे अवसर हासिल करने की है जिससे आम और गरीब लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट ही खड़ा न हो। रोटी मूवमेंट का मकसद हर उस हालात से लड़ना है जो आम आदमी की रोजी रोटी के लिए बाधा उत्पन्न करता हो।

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रोटी आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर शर्मा का कहना है कि यह दुर्भाग्य की बात है कि आज़ादी के 70 साल बाद भी देश की बड़ी आबादी अपने रोजी-रोटी जैसे मूलभूत अधिकार से वंचित है। यह आंदोलन अपने मौलिक अधिकार को हासिल करने की जंग है। रोटी आंदोलन इस बात को सुनिश्चित करेगा कि देश में कोई भूखा न सोये और इस संकल्प के साथ वह एक अम्ब्रेला की तरह हर उस संस्था और आंदोलन के साथ खड़ा है जो इस दिशा में काम कर रहा है।


इस मौके पर आंदोलन से जुड़े प्रमुख लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे, उनमें सुधीर परचा, गोस्वामी एसके पूरी, पतंजलि सोती, नीलम पाराशर, मुकेश शर्मा, मनोज मछला, विकास पाराशर, राजेश शर्मा, संजय भार्गव, प्रदीप वशिष्ठ, उमा कांत पाण्डेय प्रमुख हैं। प्रमुख बुद्धिजीवी और समाजसेवी जिस तादाद में इस गैर राजनैतिक आंदोलन से जुड़ने की जरूरत समझ रहे हैं, वह के एक सकारात्मक संकेत है कि अब देश का जनमानस देश की जरूरत को समझ रहा है और अब उसकी कोशिश है कि सरकारों को भी इस जरूरत को समझना चाहिए।

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