दिल्ली दर्पण टीवी
सुप्रसिद्ध टीवी सीरियल महाभारत में भीम की भूमिका निभाने वाले प्रवीण कुमार का निधन हो गया। दिल्ली के अशोक विहार में स्थित उनके निवास पर कल रात उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार बहुत कम लोगों की मौजूदगी में पंजाबी बाग के शमशान घाट में हुआ। वे 76 वर्ष के थे और काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके परिवार में उनका बेटा और बहु भी है लेकिन वह ज्यादातर बहार ही रहते थे। उनका ख्याल उनके दो सहयोगी रखते थे। दुनिया भर में उनके फैन है लेकिन फिर भी उन्होंने अपने जीवन के आखिरी 15 साल लगभग अकेले ही बिताया।
प्रवीण कुमार अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में अपना कैरियर शुरू किया वे भारत के हैमर थ्रो यानी हथोड़ा फेंक में कई मैडल जीत चुके थे। उसके बाद उन्होंने कई फिल्मो में काम किया। प्रवीण कुमार के लम्बी चौड़ी कद काठी के चलते उन्हें फिल्मों में काम भी मिला। अपनी पहली फिल्म में उन्होंने गोरिल्ला की भूमिका निभाई। उसके बाद उन्हें फिल्में तो कई मिली लेकिन ज्यादातर फिल्मों में उन्हें गुंडे गुर्गे और गार्ड के रोल ही मिले।
प्रवीन कुमार सोबती की सेवा करने के लिए इंदर नाम के व्यक्ति हमेशा उनके साथ रहता था जिन्होंने उनकी काफी सेवी की है। इंदर की माने तो अपने पुरे जीवन में सोबती साहब बहुत ही शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। इंदर की माने तो कई सालों पहले सोबती साहब ने उनको 100 रूपये का नोट आशिर्वाद के रूप में उनको दिया था और कहा था कि इसे मेरा आशिर्वाद समझकर हमेशा अपने पास रखना। तब से लेकर अब तक उनके वफादार नौकर ने उस नोट को अपने पास संभाल कर रखा हुआ है।
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उसके बाद उन्हें सुप्रसिद्ध टीवी धारावाहिक महाभारत में भीम की भूमिका निभाई। भीम की भूमिका ने प्रवीण कुमार को लोकप्रिय बना दिया। अपनी पिछले मुलाकात में दिल्ली दर्पण टीवी के मैनेजिंग एडिटर राजेंद्र स्वामी से अनौपचारिक बात करते हुए उन्होंने कहा ” भीम की भूमिका मिले तो में बहुत खुश था ,लेकिन अब लगता है भीम की भूमिका ही उनके करियर को चौपट कर गयी। लोगों के दिल दिमाग में भीम की भूमिका इस कदर हावी हो गयी कि उन्हें दूसरे रोल मिलाने ही बंद हो गए। प्रवीण कुमार खुलकर कहते रहे है कि महाभारत की भूमिका ने उन्हें शोहरत की उंचाईयों पर पहुंचा दिया था और उसी भूमिका ने उन्हें जमीन पर ला पटका। उन्हें रोल तो मिलाने बंद हो गए लेकिन अक्सर रामलीलाओं वाले जरूर बुलाते रहते थे। कई सालों से वे अशोक विहार में रह रहे थे,लेकिन कुछ ख़ास लोगों को ही यह पता था कि वे अशोक विहार में रहते है।
अपना अकेलापन दूर करने के लिए प्रवीण कुमार ने राजनीती का भी रुख किया। दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी ने जन्म लिया तो उन्हें आम आदमी पार्टी के ऑफर पर वे “आप “में शामिल हो गए। आम आदमी पार्टी की टिकट से उन्होंने वज़ीर पुर से चुनाव लड़ा। बीजेपी के उम्मीदवार डॉ महेंद्र नागपाल के प्रचार पर वे जाया करते थे उन्हें के सामने वे बहुत कम वोटों से हार गए। हार की एक बड़ी वजह यह भी थे अपने भारी भरकम शरीर की वजह से चल फिर नहीं सकते थे। इसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गए। बीजेपी के बाद पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता ने कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बना दिया। लेकिन इस सबके बाद उनका मन राजनीती से नफरत करने लगा। दल बदलने के सवाल पर वे अक्सर कहा करते थे,राजनैतिक दलों ने उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। सोमवार की रात उनका निधन हो गया। जिस धर्म नगरी अशोक विहार में वे रहते थे उन्हें भी मानों कुछ मालूम ही नहीं था।
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