–दिल्ली दर्पण ब्यूरो
अशोक विहार। दिल्ली के डीडीए पार्क में आये दिन गार्डन वेस्ट और सूखे पत्तों को अवैध रूप से जलाये जाने की घटनाएं आम है। यहाँ के अशोका गार्डन , ग्रीन बेल्ट आदि में गार्डन के कर्मचारी आये दिन आग लगा कर लोगों की परेशानियां बढ़ा रहे है। ऐसी ही घटना अशोक विहार फेज -1 के जी और आई ब्लॉक वर्षों से हो रही थी। यहाँ के स्थानीय निवासियों की इस परेशानी और प्रदूषण पर संज्ञान लेते हुए डीडीए के अधिकारीयों , सांसद और एनजीटी को इसकी शिकायत की तो डीडीए हरकत में आया और तुरंत एक्शन लिया।
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अब लोगों को उम्मीद है की अब इस ग्रीन बेल्ट में इस तरह की घटनाएं शायद नहीं होंगी। फेडरेशन ऑफ़ अशोक विहार आरडब्लूए के अध्यक्ष डॉ एच.सी गुप्ता ने ग्रीन बेल्ट अवैध रूप में गार्डन और सूखे पत्तों में आग लगाए जाने की शिकायत करते हुए इसे ग्रीन बेल्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की कारस्तानी बताया। उन्होंने स्थानीय सांसद , डीडीए और एनजीटी को इसकी शिकायत की तो डीडीए में हड़कंप मच गया। डीडीए उपनिदेशक बागवानी बिशम्बर मीणा ने अपने अधिकारीयों के साथ सुबह -सुबह गरीब बेल्ट का दौरा किया। इस दौरे के दौरान स्थानीय प्रमुख लोगों ,डॉ अतुल गुप्ता ,शशि इस्सर, प्रमोद गांधी ,नन्द लाल गुप्ता और अन्य लोगों ने कर्मचारियों की करतूतों की जानकारी दी। इस शिकायत पर तुरंत एक्शन हुआ और ग्रीन बेल्ट को पूरी तरफ साफ़ करने का काम शुरू हो गया। गार्डन में खाद बनाने के लिए बड़े बड़े गड्डे खोद दिए गए। पत्तों और कचरे के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की जा रही है। गार्ड हटा दिए गए है और जिम्मेएदार कर्मचारियों के खिलाफ करवाई की जा रही है।
फेडरेशन के प्रधान डॉ एचसी गुप्ता ने दिल्ली दर्पण टीवी को इसकी जानकारी देते हुए कहा की “आई” और “जी” ब्लॉक से सटी ग्रीन ब्लेट सालों से बदहाल है। यहाँ खाद बनाने के लिए दो बड़े बड़े गड्डे है जिनमें गार्डन वेस्ट को डंप करके खाद बनाई जाती है। जिन सूखे पत्तों को इन गड्डों में डंप किया जाना चाहिए था उनमें कमर्चारी अपने आराम के लिए आग लगा देते थे। इस आग से कई बार गड्डों के आस पास के पेड़ भी जल जाते है। यह आग यानी भयानक होती है की इसे बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाया जाता है। इसकी शिकायत कई बार पुलिस में भी की गयी लेकिन डीडीए कर्मचारी और गार्ड इस आग का ठीकरा यहाँ सैर करने वालों सर फोड़ते है।
डॉ. एचसी गुप्ता ने सवाल किया की यह आग शनिवार और रविवार को ही क्यों लगती है ? आग लगाए जाने से अब डीडीए ने भरोसा दिलाया है की पार्क के रख रखाव का ख्याल रखा जाएगा और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ करवाई की जाएगी। डीडीए बेशक फेडरेशन की शिकायत के बाद दोषी कर्मचारियों पर करवाई करने की बात कह रहा हो ,लेकिन वास्तविकता यह है की इस गार्डन में माली और चौकीदार भी ज्यादातर केवल कागजों में ही काम कर रहे है।
स्थानीय लोगों का दावा है की यह ग्रीन बेल्ट डीडीए अधिकारीयों की निजी कमाई का सबसे बड़ा जरिया बना हुआ है। डीडीए और ठेकेदारों की मिलीभगत का खामियाजा पब्लिक और पर्यावण को भुगतना पड़ रहा है।
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