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नई दिल्ली। राजधानी में कम आय वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को खाली सीटों पर दाखिला नहीं देने वाले 105 निजी स्कूलों की मान्यता समाप्त हो सकती है। दाखिला नहीं देने वाले निजी स्कूलों को दिल्ली सरकार द्वारा नोटिस जारी कर यह बताने के लिए कहा गया है कि क्यों न उनकी मान्यता समाप्त कर दी जाए।
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सरकार ने उच्च न्यायालय में यह जानकारी देते हुए निर्देशों का पालन नहीं करने वाले स्कूलों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने के लिए वक्त देने की मांग की है। पीठ ने सरकार को 19 मई तक कार्रवाई रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
जस्टिस नज्मी वजीरी और स्वर्णकांता शर्मा की पीठ के समक्ष सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने यह जानकारी दी है। सरकार ने गैर सरकारी संगठन जस्टिस फॉर ऑन की ओर से दाखिल याचिका पर यह जवाब दिया है। याचिका में सरकार को निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस की सभी खाली सीटों को भरने का आदेश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से अधिवक्ता खगेश झा और शिखा बग्गा ने पीठ को बताया कि निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 50,000 सीटें भरी जानी हैं। इस पर सरकार की ओर से अधिवक्ता संतोष त्रिपाठी ने कहा कि हर साल निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए सामान्यत: 38 हजार सीटें ही बनती हैं।
त्रिपाठी ने कहा कि निजी स्कूल सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कुल क्षमता की 25 फीसदी सीटों पर ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं।
उच्च न्यायालय के 17 फरवरी के आदेश पर सरकार ने नए सिरे से ईडब्ल्यूएस श्रेणी में खाली सीटों पर दाखिले के आवेदन मंगाए थे। सरकार ने पीठ को बताया कि दोबारा से शुरू की गई दाखिला प्रक्रिया में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के 44 हजार बच्चों ने दाखिले के लिए आवेदन किया है।
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