Friday, November 22, 2024
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फिर भी सहारा – सेबी विवाद के निपटने और निवेशकों के भुगतान में बहुत हैं झोल

सहारा की संपत्ति बिकनी नहीं है आसान, लीज के अलावा अधिकारियों या फिर कर्मचारियों के नाम पर ले रखी है अधिकतर संपत्ति
सेबी के सहारा को बड़ी रकम देना लग रहा है मुश्किल

चरण सिंह राजपूत/दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।
सहारा इंडिया की ओर से खबर आ रही है कि सहारा सेबी विवाद जल्द निपटने वाला है। बताया जा रहा है कि छह मई दोनों संस्थाओं के बीच एक समझौता होगा और 11 मई को इसके फ़ाइनल रूप दे देने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि सेबी सहारा को प्रथम क़िस्त 1700 करोड़ रुपए देगा। जल्द ही सहारा से एम्बार्गों हटाये जाने की भी बात सामने आ रही है। यह खबर सहारा एजेंटों के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलने के बाद मार्केट में आई है।
खबर आ रही है कि छह माह के अंदर सहारा को सभी निवेशकों का भुगतान करना होगा। ऐसी जानकारी मिल रही है कि इस समझौते के तहत हर माह सहारा सुप्रीम कोर्ट में भुगतान का शपथ पत्र देगा। जब तक पूर्ण भुगतान का शपथ पत्र पेश नहीं किया जाएगा तब तक सुप्रीम कोर्ट के पास सहारा के 5000 करोड़ रुपए जमा रहेंगे। बताया जा रहा है कि सहारा अपनी संपत्ति बेचेगा और सेबी से नियमानुसार हर माह प्राप्त क़िस्त से जर्माकर्ता का भुगतान करेगा । पूर्ण भुगतान का शपथ पत्र प्राप्त होने के उपरान्त पांच जजों की गठित कमेटी के अंतिम निर्णय के बाद ही सहारा को क्लीन चिट मिलने की बात की जा रही है।

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ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या सेबी के दिये पैसे से निवेशकों का भुगतान हो जाएगा ? सुप्रीम कोर्ट में 5000 करोड़ रुपये जमा कराने के लिए कहां से आएंगे ? सहारा की संपत्ति बिकनी इतनी आसान नहीं है। वैसे भी सहारा सेबी पर आना 25000 करोड़ रुपये बता रहा है तो सेबी 15000 करोड़ रुपये। उधर निवेशकों की देनदारी 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। हालांकि फिलहाल उन निवेशकों की देनदारी की बात हो रही है जिन्होंने सेंट्रल रजिस्ट्रार से शिकायत की है। इन निवेशकों की संख्या 10 लाख बताई जा रही है।


देखने की बात यह है कि सहारा अपनी संपत्ति बेचकर निवेशकों के भुगतान की बात कर रहा है, जबकि सहारा की फेयर सम्पति तो न के बराबर बताई जा रही है। दरअसल सहारा के चैयरमैन ने बड़ी चालाकी से अधिकतर संपत्ति को लीज पर ले रखा है। यदि सहारा की कोई अपनी संपत्ति है तो फिर वह सहारा के अधिकारियों या के कर्मचारियों के समूह के नाम पर है। वैसे भी उद्योग पति तो अधिकतर संपत्ति पर लोन लिए रहते हैं। सुब्रत राय जैसे चतुर व्यक्ति ने भला सहारा की संपत्ति पर कर्ज न ले रखा हो। ऐसा हो ही नहीं सकता। वैसे भी सेबी की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। न ही किसी कोर्ट ने सहारा भुगतान के बारे में ऐसा कुछ कहा है। वैसे भी जो सेबी सहारा पर पूरा भुगतान न देने का आरोप लगातार लगा रहा हो वह इतनी आसानी से सहारा को इतनी बड़ी रकम दे देगा, यह बात गले नहीं उतर रही है।

सहारा पर भी यही बात लागू होती है। जिस सुब्रत राय ने निवेशकों के भुगतान से बचने के लिए अपना पूरा परिवार विदेश में एडजस्ट कर दिया है, वह इतनी आसानी से हजारों करोड़ रुपये दे देंगे, यह बात पच नहीं रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या सुब्रत राय ने सहारा में कुछ निवेशकों के लिए छोड़ा होगा ? यह भी जगजाहिर है कि सहारा की अधिकतर संपति नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स की है। सहारा के दूसरे नंबर के निदेशक ओपी श्रीवास्तव पर अपने हिस्से का पैसा बाबा रामदेव की पतंजलि पीठ में लगाने का आरोप समय समय पर लगता रहा है। जयब्रत राय ने सहारा से रिजाइन देकर अपना दूसरा कारोबार कर लिया है। ऐसे में सहारा की क्या क्या फेयर संपत्ति होगी ? कैसे बिकेगी ? कौन कौन इसके मालिक होंगे ? वैसे भी सहारा के चैयरमेन सुब्रत राय सहारा की संपत्ति सहारा परिवार की बताते रहे हैं। सहारा का परिवार इसके कर्मचारी माने जाते हैं। क्या सभी कर्मचारी लिखकर दे देंगे ?
दरअसल सुब्रत रॉय ने सहाराकर्मियों का बेवकूफ परिवार के नाम पर ही बनाया है। क्या अब भी सहारा कर्मी परिवार की तरह सुब्रत राय के साथ खड़े रहेंगे ? वह भी तब जब बड़े स्तर पर सहारा कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है। एजेंट पैसा न मिलने से अपमानित हो रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं।

राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यध दिनेश चंद्र दिवाकर ने कहा कि सहारा के चैयरमेन निवेशकों को भ्रमित कर रहे हैं। ये निवेशकों को पैसा देना ही नहीं चाहते। अब फिर कोई पैंतरा सोच रहे होंगे। उन्होंने कहा कि अब सहारा ने निवेशकों का पैसा न दिया तो राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन किया जाएगा।

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