Saturday, December 28, 2024
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पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी द्रौपदी मुर्मू

राजेंद्र स्वामी

द्रौपदी मुर्मू को एनडीए ने राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया है। इसी के साथ ये तय हो गया कि मुर्मू देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी। मुर्मू का राष्ट्रपति उम्मीदवार तक का सफर आसान नहीं था पर उनका उड़ीसा से राजनीति और पारिवारिक रिश्ता उनकी उम्मीदवारी की राह आसान कर गया।

“देश का अगला राष्ट्रपति तय हो चुका है। राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर पिछले 1 महीने से कवायद चल रही थी। राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इस तलाश के लिए लंबा विचार मंथन और एक्सरसाइज चली। आखिर में शॉट लिस्ट जिन दो नामों को किया गया था उसमें दोनों ही महिला और आदिवासी उम्मीदवार थी जिसमें पहली द्रौपदी मुर्मू दूसरी अनसूइया उइके थी।”

भाजपा में इस बात को लेकर शुरू से इस पक्ष की थी  कि पिछली बार की तरह पार्टी के किसी हार्डकोर कैडर के बजाय जिस तरीके से एससी वर्ग को एक मैसेज देने के लिए राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर रामनाथ कोविंद को सर्वोच्च पद दिया गया था ठीक उसी तरह  इस बार भी एक बड़ा मैजेस देते हुए उम्मीदवार बनाया जाए। इस तलाश में काफी जद्दोजहद के बाद और रणनीति को भी मूर्त रूप देने के लिए अलग-अलग वर्गों और अल्पसंख्यक समुदाय तक के नाम पर चिंतन मंथन किया गया। फिर तय ये हुआ कि एसटी यानी आदिवासी वर्ग से उम्मीदवार बनाकर एक मैसेज दिया जाए और इसीलिए कई नामों को छांटने के बाद दो नाम शॉर्टलिस्ट किए गए थे। चूंकि भाजपा को पिछले कुछ चुनावो से महिलाओं का अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है तो महिलाओं को संदेश देने के साथ आदिवासी वर्ग को साधने के लिए आदिवासी वर्ग से महिला उम्मीदवार चयन करना तय किया गया था। इसको लेकर दोनों उम्मीदवारो से उच्च स्तर के सभी शीर्ष नेताओं ने चर्चा कर ली थी अब दोनों में से एक पर मुहर लगानी थी।

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द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में उड़ीसा के आदिवासी क्षेत्र से होना फायदेमंद रहा क्योंकि अंकगणित के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए आवश्यक बहुमत प्राप्त करने के लिए एनडीए के पास जितने वोट शार्ट थे उनकी भरपाई उड़ीसा के बीजू जनता दल के वोट से की जा सकती थी। विपक्ष इस चुनाव में बीजू जनता दल पर डोरे डाल कर जीत का समीकरण बिगाड़ सकता था। इसलिए अहम भूमिका निभा सकने वाले बीजू जनता दल को अपने पाले में लेना जरुरी हो गया था। भाजपा ने द्रोपति मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर बीजू जनता दल की नाराजगी जैसी वजह को खत्म कर दिया है मुर्मू उड़ीसा से दो बार विधायक रहने के साथ पटनायक मंत्री मण्डल में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी है

अनुसुइया उइके छत्तीसगढ की राज्यपाल हैं। उनको इस पद का उम्मीदवार बनाया जाए इसके भी काफी चांसेस थे। पर मुर्मू ने बाजी मारी क्योंकि बीजू जनता दल के गठनबधन के वक्त अहम रोल अदा कर चुकी है और यही सब वजह है कि अनुसूया उइके इस दौड़ में द्रोपति मुर्मू से पीछे रह गई।

हिंदी भाषी क्षेत्र और अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण एक मजबूत दावेदार थी लेकिन ऐसे समय में जब 2024 में निर्णायक चुनाव हैं भाजपा का शीर्ष नेट्युव राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था और इसी लिए उड़ीसा और झारखंड से दौपदी मुर्मू की करीबी का उन्हें फायदा मिला एनडीए यह मानकर चल रही है कि द्रोपति मुर्मू के नाम पर कई न्यूट्रल दल भी समर्थन देंगे। जिससे जीत के लिए आवश्यक वोटों की भरपाई हो पाएगी। 

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