आप नेता दुर्गेश पाठक ने लगाए कई गंभीर आरोप
आप के आरोपों में फसी एमसीडी की हरदयाल लाइब्रेरी
पुनीत गुप्ता , दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।। आम आदमी पार्टी नेता दुर्गेश पाठक ने आरोप लगाया है कि एमसीडी के अधीन हरदयाल लाइब्रेरी में भाजपा बहुत बड़ा भ्रष्टाचार कर रही है। पार्टी मुख्यालय में दुर्गेश पाठक ने बताया कि लाइब्रेरी के कर्मचारियों को पिछले 18 माह से वेतन नहीं मिला है। इसके बावजूद पूनम पाराशर ने 10 नई भर्तियां कराई है और तीन माह के भीतर ही उन्हें पक्का भी कर दिया। इस पूरे मामले में गड़बड़ी है लाइब्रेरी की सचिव पूनम पाराशर ने सभी नियमों के विरुद्ध पति को लाइब्रेरी का सदस्य बनाया और बेटे को लगभग 40 हजार की नौकरी दी। पूनम पाराशर भाजपा की पूर्व पार्षद हैं और उनके पति अनिल झा किराड़ी के पूर्व विधायक है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में उपराज्यपाल ने दिल्ली के लोगों को चोर और बेईमान कहा था। इस पूरे मामले पर वह उपराज्यपाल को पत्र लिख रहे है और शुक्रवार को सभी सबूतों के साथ उन्हें पत्र सौपेंगे।
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पाठक ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने हर बार यह बताया है कि निगम कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिलने का सबसे बड़ा कारण बीजेपी का भ्रष्टाचार है. इस लाइब्रेरी को चलाने की जिम्मेदारी जिस कमेटी की होती है, उसका चेयरमैन खुद एमसीडी का मेयर होता है और उसका सेक्रेटरी पार्षद होता है. चयनित सेक्रेटरी ही लाइब्रेरी की रोजमर्रा की चीजों का ध्यान रखता है. इस लाइब्रेरी की सेक्रेटरी बीजेपी की पूर्व पार्षद पूनम पाराशर हैं. उनके पति अनिल झा किराड़ी से विधायक रह चुके हैं और वर्तमान में बीजेपी में कई पदों पर हैं. दिलचस्पी की बात यह है कि पूनम पाराशर ने अपने पति को लाइब्रेरी के मैनेजमेंट कमेटी का आजीवन सदस्य बना दिया. यहां तक कि अपने बेटे को भी नौकरी पर रखा जिसको 38 हजार से अधिक सैलरी मिल रही है.
दुर्गेश पाठक ने कहा कि इस पूरी मामले में सबसे दिलचस्पी की बात यह है कि इनके पास कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं, बावजूद इसके लाइब्रेरी में 10 नई भर्तियां की गईं. भर्ती करने की प्रक्रिया हैरान कर देने वाली है. जिन 10 लोगों को नौकरी दी गई, उन्हें यह कहा गया कि अभी आपको पक्का नहीं कर रहे हैं. तीन महीनें बाद ही सभी नए कर्मचारियों को पक्का कर दिया गया. इस मामले में गड़बड़ी साफ नजर आ रही है. आप लोगों को यह भी बताना चाहूंगा कि इस पूरे मामले में जो भुगत रहा है, वह हरदयाल लाइब्रेरी में अपना पूरा जीवन लगाने वाला व्यक्ति है. पूरी लाइब्रेरी का अच्छे से रखरखाव करने के बावजूद उसे 18 महीनों से तनख्वाह नहीं मिली है.
इस दौरान वह उपराज्यपाल से इस मामले की जांच कराने की मांग करेंगे। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार अपने वादे के अनुसार सभी कर्मचारियों की लंबित तनख्वाह तुरंत जारी करें, वहीं पूनम पाराशर के निर्णय की जांच होनी चाहिए।
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