राजेंद्र स्वामी , दिल्ली दर्पण
नार्थ वेस्ट। दिल्ली में त्योहारों का सीजन है,अपराधियों की रोकथाम के लिए ऑपरेशन सजग की तहत पुलिस भी सतर्क है वहीँ स्नेचर और चोर भी उतने ही सक्रिय नजर आ रहे है। कहना मुश्किल है की स्नेचर ज्यादा सक्रिय है या पुलिस ज्यादा सतर्क। नार्थ वेस्ट जिला पुलिस ने अगस्त महीने में ही पुलिस ने जिसे भर में तीन दर्जन से ज्यादा स्नेचरों को गिरफ्तार किया है। इनमें ऐसे ऐसे कुख्यात स्नेचर भी है जिन पर दर्जन से ज्यादा मुकदमें दर्ज़ है। पुलिस ने अगस्त महीने में ही रेकॉर्डतोड़ चोरी के दुपहिया वाहन भी बरामद किये है। ज्यादातर स्नेचर 20 से 25 साल की उम्र के आस पास है। इनमें से ज्यादातर आदतन अपराधी और नशे के आदी है। खास बात यह है कि नार्थ वेस्ट जिले में पकड़े गए ज्यादातर स्नेचर उसी थाना क्षेत्र के निवासी है, जिस क्षेत्र की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। दिल्ली में त्योहारों का सीजन आते ही चोरी स्नेचिंग ,और वाहन चोरों की वारदातों में भी तेज़ी आ जाती है। जाहिर है चोरों को भी त्योहार मानाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। अपने नशे की पूर्ति करने और त्योहारों पर खर्च करने के लिए उन्हें ज्यादा पैसों की जरूरत होती है। यही वजह है की वे रक्षा बंधन,जन्माष्टमी और दिवाली से पहले ही सक्रिय हो जाते है। नार्थ वेस्ट जिला पुलिस ने इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए अपने “ऑपरेशन सजग ” को और सतर्क कर दिया। इसी का नतीजा रहा कि जिला में ऐसा थाना शायद ही कोई रहा हो जिसने किसी ने किसी शातिर स्नैचर को गिरफ्तार न किया हो। नार्थ वेस्ट जिला पुलिस द्वारा अगस्त महीने में जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार नार्थ वेस्ट जिला पुलिस ने 30 से ज्यादा स्नैचर को दबोचा है। इसमें ख़ास बात यह है कि अगस्त महीने में कुल 30 स्नेचर ऑपरेशन सजग के तहद पकडे जाने का दावा नॉर्थ वेस्ट जिला पुलिस ने किया। इनमें 80 प्रतिशत मामले 9 और 10 अगस्त को पुलिस ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इनके पकडे जाने की जानकारी मीडिया को दी।
केवल दो दिन में जिन थाना क्षेत्र में शातिर और कुख्यात स्नेचरों और वाहन चोरों की गिरफ्तार किया उनमें प्रमुख निम्न है :-
दिनांक 10 अगस्त 2022
1- जिला पुलिस के थाना भारत नगर ने दो अलग अलग मामलों में कुल 3 कुख्यात स्नैचर को दबोचा। इनमें संगम पार्क पुलिस चौकी ने पवन नाम के एक स्नेचर जाल बिछाकर गिरफ्तार किया जिस पर 22 मुकदमें दर्ज़ है। दूसरी वारदात के महिला के साथ हुयी स्नेचिंग के मामले की है ,जिसमें दो स्नेचरों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से चोरी के दुपहिया वहां बरामद किए है। ये चोरी किये गए दुपहिया से ही वारदात को अंजाम दिया करते थे। इसी के साथ लगते थाना अशोक विहार की वज़ीर पुर इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस पोस्ट ने भी नशे के आदी एक स्नेचर और वाहन चोर की गिरफ्तार कर उसके कब्जे से चोरी के 3 दुपहिया वाहन भी बरामद किये है।
2 -इसी तारीख 10 अगस्त को थाना मौर्य एन्क्लेव ने दीपक उर्फ़ दिल्ली नाम के युवक को गिरफ्तार किया। 24 साल का दीपक शालीमार बाग़ का रहने वाला है। वह भी वारदातों को अंजाम देने के लिए चोरी किये दुपहिया वाहन का ही इस्तेमाल करता था।
3 -आदर्श नगर थाना पुलिस ने भी 10 अगस्त को ही एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया जिसने अभी क्राइम की दुनिया में कदम रखा ही था। आदर्श नगर के लाल बाग़ का रहने वाला यह युवक एक ऐसे गैंग के करीब है जो लाल बाग़ इलाके में ही हुयी ह्त्या के मामले में तिहाड़ जेल में बंद है। पुलिस के अनुसार इसके पास से एक पिस्टल ज़िंदा कारतूस के साथ बरामद हुयी है। यह साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए भी बड़ा ख़तरा था।
दिनांक 9 अगस्त 2022 :-
1 -मौर्य एन्क्लेव थाना पुलिस ने एक और मामले में एक कुख्यात स्नैचर को दबोचा। जहांगीर पूरी का रहने वाले 23 वर्षीय मोमिन उर्फ़ चंदू नाम के इस शातिर स्नेचर पर 9 मुकदमें दर्ज़ है। इसके पास से चोरी का मोबाइल ,मोटरसाइकल और एक बटनदार चाकू बरामद हुआ है। इसी थाना पुलिस ने 22 वर्षीय सूरज उर्फ़ कुंडू को चाक़ू क़े साथ गिरफ्तार किया है। इन जनाब के पास तो चोरी का हैंडपंप बरामद हुआ है। 2 – अशोक विहार थाना क्षेत्र के वज़ीर पुर इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस चौकी ने एक स्नेचर को गिरफ्तार किया तो भला थाना कैसे पीछे रहता। अशोक विहार थाना के साथ लगती दीप चंद बंधू सेंट्रल मार्किट से अशोक विहार थाना पुलिस ने 19 साल के लोकेश नाम के युवक को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से चोरी की मोटरसाइकिल बरामद की है।
अपराध का अपराध शास्त्र :-
जितने भी अपराध नार्थ वेस्ट जिले में हो रहे है, और जिस तरह अपराधी पकड़े जा रहे है ,वह अपने आप में कुछ कहतें है। मसलन ज्यादातर अपराधी उसी थाना क्षेत्र के है जिस थाना क्षेत्र में वे रहते है। उन्हें इलाकों से है जिसमें जिला पुलिस अपराधियों और अपराधों पर लगाम लगाने के लिए तरह तरह की कम्युनिटी पुलिसिंग की योजनाएं भी चलाती है। ज्यादातर अपराधी युवा है और आदतन अपराधी है। नशे के आदी है। यानी इन इलाकों में नशे का कारोबार भी होता है। स्नेचिंग जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए दुपहिया वाहनों को चोरी करते है। ऐसा नहीं है कि पुलिस इस तरह के अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रयास कम करती है। वास्तविकता यह है कि पुलिस इसी तरह के अपराध और अपराधियों पर ज्यादा नजर रखती है। जगह जगह पुलिस पिकेट और पेट्रोलिंग के बावजूद भी यदि कहीं अपराध होता है तो पुलिस के आला अधिकारी तक मौके पर पहुंचते है। यह बात अलग है कि इससे अपराधियों को पकड़ने में मदद कम ही मिल पाती है और लोकल पुलिस की हराशमेंट ज्यादा हो जाती है। अपराध होने के बाद पुलिस अपने प्रोफेशनल तरीके से काम करती है तो परिणाम ज्यादा अच्छे आते है।
क्या कहता है स्नेचर अपराध शास्त्र ?
पुलिस को पेट्रोलिंग की संख्या बढ़ानी चाहिए और हर थाने में पर्याप्त संख्या में पुलिस बल और पर्याप्त संसाधन होने चाहिए। निम्न आय वर्ग क्षेत्रों ,झुग्गी बस्ती और स्लम इलाकों और वज़ीर पुर जे जे कॉलोनी , जहांगीर पूरी जैसे पुनर्वास कॉलोनी जैसे इलाकों में पुलिस सख्ती और समझदारी के साथ काम करें। पेशेवर अपराधियों द्वारा पुलिस कर्मियों के खिलाफ की गयी शिकायतों को पेशेवर तरीके से ही जांच करें ताकि पुलिसकर्मी किसी साजिश का शिकार न हो और वे भी निडर होकर ऐसे तत्वों और सुनियोजित अपराधों पर अंकुश लगा सकें। यही लेकिन ऐसा होता नहीं है। यही वजह है कि जो ऐसे निम्न आय वर्ग क्षेत्रों में शराब , स्मैक , सट्टे के कारोबार होते है। इसी के शौके में ऐसे ही इलाकों के युवा स्नेचिंग जैसे अपराधों की और उन्मुख होते है। धीरे धीर अपना गैंग तक बना लेते है। इस तरह के अपराधों की रोकथाम के लिए पुलिस तरह तरह की सामुदायिक पुलिसिंग की तरह -तरह की योजनाएं तो चलती है लेकिन वे कागजी कागजी ज्यादा नजर आती है। यही वजह है की इन कम्युनिटी पुलिसिंग के परिणाम भी कागजी ज्यादा साबित होते है। जोर शोर से जिस योजना की शुरुआत होती है उसके उद्घाटन के बाद क्या हाल है इस पर ध्यान नहीं रहता। बहरहाल इस तरह के अपराधियों और अपराधों का अध्ययन यह भी संकेत और सलाह देता है कि पुलिस को अपना ध्यान ज्यादातर ऐसे ही इलाकों पर केंद्रित करना चाहिए जहाँ से इस तरह के अपराध और अपराधी पनपते है, बढ़ते और पलते है। यही के अपराधी स्नेचिंग चोरी से आगे बढ़कर लूट और डैकती को भी अंजाम देते है। लिहाज़ा अपराध की जन्मभूमि और कारणों पर ध्यान केंद्रित करना ही आज सबसे ज्यादा जरूरी है। पकडे गए अपराधियों से मिली जानकारी के बाद इस जड़ में भी जाना बहुत जरूरी है की उसके पास हथियार कहाँ से आतें है। वह नशे का आदी है तो वह कहाँ से मिलता है। लेकिन पुलिस इतनी गहराई में जाना ज्यादा जरूरी नहीं समझती। यही वजह ही की क्राइम जड़ से ख़त्म होना तो दूर कम होने का भी नाम नहीं ले रहा है।