Thursday, November 21, 2024
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Mission 2024 : फूलपुर से चुनाव लड़कर क्या लोहिया बन जाएंगे नीतीश कुमार ?

Mission 2024 : सड़क पर बिना उतरे विपक्ष की लामबंदी से मोदी के विजय रथ को रोकना चाहते हैं मोदी के गोद से उठकर आये बिहार के मुख्यमंत्री

सी.एस राजपूत 

2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार समाजवादी पुरोधा डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ लोक नायक जयप्रकाश नारायण और दूसरे समाजवादियों के संघर्ष को भी भुनाने की तैयारी कर रहे हैं। भले ही नीतीश कुमार कई बार एनडीए का हिस्सा रहे हों पर वह आम चुनाव में भाजपा से आर पार की लड़ाई का मन बना चुके हैं। दरअसल नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ ऐसे ताल ठोक रहे हैं जैसे समाजवाद के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया कांग्रेस के सामने ठोकते थे। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ललकारना चाहते हैं जैसे लोहिया पंडित नेहरू को ललकारते थे। समाजवादियों के इतिहास को दोहराने के लिए मौजूदा समाजवादी नीतीश कुमार को उत्तर प्रदेश फूलपुर से चुनाव लड़ा सकते हैं। 

दरअसल लोहिया फूलपुर उपचुनाव जीतकर ही संसद पहुंचे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की फिजूलखर्ची पर उंगली उठाते हुए 3 आने बनाम 15 आना बहस कर इतिहास रचा था। वैसे भी मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जमकर फिजूलखर्ची कर रहे हैं। नीतीश कुमार लोहिया के गैर कांग्रेसवाद के नारे की तर्ज पर गैर संघवाद का नारा भी  दे चुके हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि मोदी की गोद से उठकर आये नीतीश कुमार बिना सड़क के संघर्ष के विपक्ष की लामबंदी से मोदी के विजय रथ को रोक लेंगे ? वह भी तब जब वह मोदी की तारीफ कर कह चुके हैं कि कोई नहीं है टक्कर में। क्या नीतीश को याद है कि लोहिया के कितने पड़े प्रयास और जेपी आंदोलन में कितने बड़े संघर्ष के बाद कांग्रेस की सत्ता को बेदखल किया गया था ? सत्ता की मलाई चाटकर बदलाव नहीं किया जा सकता है। उसे लिए लोहिया जैसे समाजवादी पुरोधाओं का त्याग और संघर्ष आत्मसात करना होगा।

विपक्ष यह चुनाव उत्तर प्रदेश  को आगे कर लड़ना चाहता है। देश के समाजवादियों ने नीतीश कुमार को आगे कर चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। यह नीतीश कुमार की रणनीति ही है कि उन्होंने भाजपा का नाम लिए बिना आजादी में भाग न लेने का आरोप कई मंचों पर लगाया है। इस कवायद में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और शरद यादव भी नीतीश कुमार की रणनीति के साथ हैं। उत्तर प्रदेश में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को चेहरा बनाया जा सकता है। विपक्ष की यह कवायद बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्ष नीतीश के नाम पर एकजुट होने का मन बना रहा है। हालांकि नीतीश कुमार ने बार बार एनडीए में शामिल होकर अपनी छवि धूमिल की है। वह मोदी की तारीफ कर कोई नहीं है टक्कर में कह चुके हैं। 

दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट कर लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुटे हुए हैं। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश के तेवर आक्रामक नजर आ रहे हैं और वह विपक्ष को भाजपा के खिलाफ लामबंद करने की कवायद में जुटे हुए हैं। इस कोशिश में उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात की है तो वहीं, यूपी से उनके लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर अटकलों का बाजार भी गर्म रहा है। ऐसी ही कुछ रिपोर्ट्स में यह संकेत मिल रहे हैं कि नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश की फूलपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। 

दरअसल इसके लिए यह माहौल बनाया जा रहा है अंबेडकरनगर और मिर्जापुर के कार्यकर्ता नीतीश कुमार से फूलपुर से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे हैं।  दरअसल नीतीश कुमार दिल्ली गए थे तो वह अखिलेश यादव और उसके बाद मेदांता अस्पताल में भर्ती मुलायम सिंह यादव से ऐसे ही नहीं मिले थे।   

2024 के चुनाव के मद्देनजर भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशों पर जदयू अध्यक्ष ने कहा, “नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं तो उत्तर प्रदेश निश्चित तौर पर बड़ा राज्य है जहां 80 लोकसभा सीटें हैं,जिसमें से 65 सीटों पर भाजपा के सांसद हैं। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण राज्य है जहां विपक्षी एकता की जरूरत है।” ललन सिंह ने दावा किया कि अगर यूपी में विपक्ष एकजुट हो गया तो भाजपा 65 से खिसक कर 15-20 सीटों पर आ जाएगी। वैसे भी अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को पटखनी देने की बात कह चुके हैं। 

ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या मोदी के विजय रथ को बस विपक्षी एकता की बात कहकर ही रोका जा सकता है ? यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को छोड़ दें तो कोई पार्टी सड़क पर संघर्ष करने को तैयार नहीं और लोहिया तो सड़क के संघर्ष की ही बात करते थे। 

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