Ram Leela : लव कुश कमेटी की रामलीला में प्रसिद्ध भोजपुरी गायक व अभिनेता रामलीला मंच पर केवट की भूमिका निभाने की कर रहे हैं तैयारी, 26 सितम्बर से होगा रामलीला का शुभारंभ
नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद और दिल्ली भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी लाल किले पर भगवान राम को सरयू नदी पार कराएंगे। खा न चक्कर ? कहां सरयू नदी और कहां लाल किला और कहां भगवान राम? बात रामलीला मंचन की और रही है। लाल किले पर होने वाली लव कुश रामलीला कमेटी द्वारा की जाने वाली रामलीला में प्रसिद्ध भोजपुरी गायक व अभिनेता मनोज तिवारी इस बार केवट की भूमिका निभाने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केवट उनका पसंदीदा किरदार है। इसमें उन्हें प्रभु श्रीराम के भजन गाने का अवसर मिलता है। वे लाल किला परिसर में होने वाली लव-कुश कमेटी की रामलीला में यह किरदार निभाएंगे। कमेटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने बताया कि मनोज तिवारी केवट की भूमिका में होंगे और कई टीवी सीरियल व फिल्मों में अभिनय कर चुके बॉलीवुड एक्टर अरुण मंडोला लक्ष्मण के किरदार में होंगे। इस वर्ष लीला का शुभारंभ 26 सितंबर से होगा।
मालूम हो कि कोरोना संक्रमण की वजह से रामलीलाओं का आयोजन बंद था। साल 2021 में किसी तरह से इसकी इजाजत मिली तो तमाम नियमों का पालन करने की हिदायत दी गई। मगर कई जगह उसका भी अनुसरण नहीं दिखा। दिल्ली की रामलीला के इतिहास पर पहली बार इसका प्रसारण ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म पर भी किया गया। इसी तरह यूट्यूब और फेसबुक के साथ ही डीटीएच व केबल नेटवर्क के जरिये देश के विभिन्न भागों के साथ ही दूसरे मुल्कों के भी दर्शक जुड़ रहे हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस और जर्मनी समेत अन्य मुल्कों से भी अच्छी संख्या में दर्शक इससे जुड़े थे। कोरोना काल में देश में ओटीटी प्लेटफार्म खासा लोकप्रिय हुआ है। इस पर वेब सीरिज के साथ फिल्में भी रिलीज हुई। ऐसे में परंपरागत रामलीला का मंचन भी इस मंच पर स्थानांतरित होने लगा है।
बता दें कि कोरोना संक्रमण की आशंका और शासन-प्रशासन की सख्ती को देखते हुए साल 2021 में लाल किले में केवल एक ही रामलीला का मंचन हुआ था। इस आयोजन में उसे दर्शकों की संख्या पर नजर रखनी थी, कहा गया था कि यदि दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की ओर से निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया गया तो मंजूरी निरस्त कर दी जाएगी।
रामलीला आयोजन परिसर में कोरोना दिशानिर्देशों के पालन पर जिला प्रशासन की ओर से नजर रखी गई। अधिकतम 500 लोगों की ही मौजूदगी रखने के लिए कहा गया।