Salute to the Spirit : कभी खुद बाल मजदूर रही काजल ने अंतरराष्ट्रीय मंच से वैश्विक नेताओं के सामने बताया बाल मजदूरों की पीड़ा को
सी.एस. राजपूत
कहा जाता है कि जाके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई। जी बिल्कुल जिस व्यक्ति ने पीड़ा महसूस की है वही दूसरों की पीड़ा को समझ सकता है। कोडरमा की बेटी काजल के साथ भी यही हुआ। यह बेटी बाल मजदूरी करते हुए पढ़ी लिखी और जब इसे विश्व के सबसे मंच यूएन में बोलने का मौका मिला तो उसने बाल मजदूरी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
दरअसल 21 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट में झारखंड कोडरमा की बेटी काजल ने बाल मजदूरी पर जमकर अपने विचार रखे। कभी खुद बाल मजदूर रही काजल ने अंतरराष्ट्रीय मंच से वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को बताया। दरअसल काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम से जुड़ी हैं। संस्थान की ओर से ही काजल का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था।
कोडरमा की बेटी काजल के लिए 21 सितंबर का दिन तब यादगार बन गया गया जब उसने यूएन के मंच पर बाल मजदूरी के खिलाफ अपनी आवाज को बुलंद किया। काजल न्यूयॉर्क में यूएन के मंच पर खड़ी थी। कभी बाल मजदूरी का दंश झेलने वाली काजल इस मंच पर वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा बता रही थी। इस प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रही थी।
कोडरमा के डोमचांच की 20 वर्षीया काजल ने कहा कि बाल श्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा की अहम भूमिका है। बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर देने होंगे। इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से प्रयास करना चाहिए। नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बाल श्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी बात रखी।
काजल ने कहा कि बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा चाबी के समान है। इसी के जरिए ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं। कार्यक्रम में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन, बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं।
कभी बाल मजदूर थी काजल
काजल कोडरमा की मधुबन पंचायत स्थित एकतरवा गांव में बाल मित्र ग्राम में बाल पंचायत अध्यक्ष है। काजल कभी अभ्रक खदान में पिता के साथ मजदूरी करती थी। 14 साल की उम्र में बाल मित्र ग्राम ने उसे ढिबरा चुनने के काम से निकाल स्कूल में दाखिला करवाया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम से जुड़ी। संस्थान की ओर से ही काजल का चयन अमेरिका जाने के लिए हुआ था।