प्रियंका रॉय
मल्लिकार्जुन खड़गे कंग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। और इसके साथ ही खड़गे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है। सोमवार को हुए चुनाव के नतीजे आज यानि बुधवार को आ गए हैं। खड़गे ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की है। अध्यक्ष पद के लिए चुनावी मैदान में खड़गे के सामने कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर थे। आपको बता दें कि इस चुनाव में कुल 9,385 वोट पड़े थे। जिसमें से मल्लिकार्जुन खड़गे को 7897 वोटों से जीत हासिल की है । तो वही दूसरी ओर शशि थरूर को केवल 1072 वोट मिले । जबकि 416 वोट खारिज कर दिया गया है। आपको बता दे कि 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर कोई नेता कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है। इससे पहले सीताराम केसरी गैर-गांधी अध्यक्ष रहे थे। इस मौके पर शशि थरूर ने कहा, ‘कांग्रेस का अध्यक्ष बनना बड़े सम्मान, बड़ी जिम्मेदारी की बात है, मैं मल्लिकार्जुन खरगे को इस चुनाव में उनकी सफलता के लिए बधाई देता हूं। अंतिम फैसला खड़गे के पक्ष में रहा, कांग्रेस चुनाव में उनकी जीत के लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई देना चाहता हूं।’
जाने कौन है मल्लिकार्जुन खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे 16 वीं लोक सभा में एक वरिष्ठ कर्नाटक राजनेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता हैं। वह कर्नाटक के गुलबर्गा से कांग्रेस सांसद के रूप में चुने गए। वह भारत सरकार में रेलवे के पूर्व मंत्री भी हैं। उन्हें एक स्वच्छ सार्वजनिक छवि के साथ एक सक्षम नेता माना जाता है और राजनीति, कानून और प्रशासन की गतिशीलता में अच्छी तरह से ज्ञात माना जाता है। वर्तमान में उन्हें किताबें पढ़ना, तर्कसंगत सोच, अंधविश्वास और रूढ़िवादी प्रथाओं के खिलाफ लड़ते रहे हैं। उन्हें कबड्डी, हॉकी और क्रिकेट सहित खेलों में भी रूचि थी।
राजनीतिक जीवन की शुरूआत
खड़गे ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक छात्र संघ के नेता के रूप में की थी। सरकारी कॉलेज गुलबर्ग में उन्हें छात्रसंघ के महासचिव के रूप में चुना गया था। 1969 में वह एमएसके मिल्स कर्मचारी संघ के कानूनी सलाहकार बने थे. वह संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली श्रमिक संघ नेता भी थे और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। 1969 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और गुलबर्गा सिटी कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
चुनौतियों से कैसे निपटेंगें खड़गे
मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बन गए हैं। ऐसे में पार्टी के सिमटते जनाधार को दोबारा हासिल करना, और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकना जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा। खड़गे को एक समय पूरे देश में राज करने वाली पार्टी को नए सिरे से खड़ा करना होगा। आज कांग्रेस महज दो राज्यों में सीमित है। वहां भी उसके लिए हालात कुछ अच्छे नहीं है। गुटबाजी, अंतर्कलह से जूझ रही पार्टी में खड़गे एकजुटता कैसे लाएंगे। और पार्टी की कमान संभालने मे अपनी भूमिका किस तरह से अदा करेंगे यह देखना होगा।