राजेंद्र स्वामी ,
अशोक विहार। नार्थ वेस्ट दिल्ली के अशोक विहार में लगे सबसे बड़े मेले की सुरक्षा रामभरोसे चल रही है। यहाँ मेले में उमड़ रही भीड़ केवल निजी सुरक्षा गार्डों के भरोसे है। कहने को तो सीसीटीवी कमरों के जरिये हर कोने पर नजर रखी जा रही है लेकिन फिर भी पुलिस सुरक्षा व्यवस्था और मेले को लेकर दे गयी गाइड लाइन का पालन करने में नाकाम साबित हो रही है। हैरत की बात तो यह है की मेले में झूलों को लेकर पुलिस ने क्या गाइड लाइन दी है इसकी जानकारी मेला संचालकों को तो दूर खुद पुलिस तक को क्लियर नहीं है। मेला संचालक कहते है की उन्हें रात 12 बजे तक झूला चलाने की अनुमति है लेकिन अशोक विहार का मेला एक से डेढ़ बजे तक जारी रहता है।
भारत नगर थाना क्षेत्र में लगे इस मेले में बमुश्किल 4 से 6 पुलिस कर्मी तैनात होते है ,जिनमें दो सीनियर अधिकारी सीसीटीवी पर नजर गड़ाए रहते है बाकी झूलों के आस पास ही मंडराते नजर आतें है। अशोक विहार फेज -1 के इस मेले में दर्जन भर से ज्यादा झूलें है। इनमें बच्चों के लिए तरह तरह की राइड्स है तो वहीँ बड़े बड़े ड्रैगन और 70 फुट वाला विशालकाय झूला भी है। इस मेले में झूलों की इतनी वराइटी नार्थ दिल्ली के दूर दूर से लोगों को यहाँ खींच लाती है। यही वजह है की यहाँ प्रतिदिन हज़ारों लोग मेले में मनोरंजन के लिए पहुंच रहे है। यही भीड़ पुलिस के लिए मुसीबत तो कुछ मौज का जरिया बनी हुयी है। मेले में तरह तरह के गेम्स भी है ,इनमें निशानेबाजी लेकर रिंग गेम्स सहित कई तरह के ऐसे गेम्स है जिनमें लोग जीत के लिए अपना निशाना लगते है और हार कर भी खुश होते है। बच्चे भी जिद्द करके ऐसे गेम्स खेलते है और जीत की उम्मीद में काफी रुपये हार जातें है। अब यह अलग बात है की इनमें ये पुलिस की गाइड लाइन का किनता ख्याल रखतें है। इनका कहना है की यहाँ एक बजे तक भी लोग आतें है।
बेशक यहाँ आने वाली भारी भीड़ के चलते मेले को लेकर बने गाइड लाइन का पालन करना मुश्किल होता हो लेकिन इन मेलों को लेकर क्या गाइड लाइन है इसकी जानकारी यहाँ तैनात पुलिस और मेला संचालकों तक को भी नहीं है। स्थानीय पुलिस से जब यह सम्पर्क कर यह पूछा गया तो उनका कहना था कि इन झूलों और मेलों के लिए 12 बजे तक का टाइम है। लेकिन भीड़ की वजह से एक से डेढ़ बजे तक झूले चलते है। बाकी की गाइड लाइन की जानकारी किसी को नहीं मिली।
मेला संचालक नौशाद पुलिस के इंतजामों की तारीफ़ करते है,साथ ही यह स्वीकार करते है की भीड़ की वजह से नियमों का पालन नहीं हो पा रहा है। अनुमति तो रात 12 बजे की है लेकिन झूले रात एक से डेढ़ बजे तक चलते है। यहाँ कितने झूलों की अनुमति है इस पर बात करते है इस पर नौसाद जबाब देने कतरा गए। दावा तो यह तक किया गया है की इनमें से कई विशालकाय झूलों की अनुमति नहीं है और मिलीभगत से चल रहे है।
इन मेलों में लगे झूलों और मेले की टाइमिंग क्या है इस पर नार्थ वेस्ट जिला डीसीपी कार्यालय से भी कई बार पूछा गया। डीसीपी को मैसेज किया गया और पीआरओ से कई बार फ़ोन पर सम्पर्क कर गाइड लाइन की कॉपी मांगी गयी, लेकिन कई घंटे बीत जाने के बाद भी डीसीपी पीआरओ कोई जबाब नहीं दे पाये। मेले में नियमों भारी अनदेखी जितनी हैरान करती है उतनी ही हैरानी इस बात पर है की पुलिस गाइड लाइन की जानकारी देने से बच क्यों रही है ?