दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को दिल्ली की नई आबकारी नीति को वापस लेने की वजहें बताई। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को आबकारी नीति से क्या लेना। ये लोग तो चाहते हैं कि इनकी जिंदगी अच्छी तरह से चलती रहे। इनके स्कूल कॉलेज ठीक ढंग से चलें। हवा पानी साफ हो जाए। सड़के, अस्पताल और स्कूल अच्छे हो जाएं। राजनीति से इनको क्या लेना देना। केजरीवाल ने कहा कि 31 जुलाई को इस नीत को एक्सटेंड किया जाना था लेकिन उससे पहले ही अधिकारियों को फोन करके धमका दिया गया। यदि तुमने नई आबकारी नीति एक्सटेंड की तो तुम सबको सस्पेंड कर देंगे।
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट के मंच पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने बताया कि यही कारण था कि कोई अधिकारी नई आबकारी नीति को एक्सटेंड करने के लिए तैयार नहीं था। दिल्ली में पहले साढ़े आठ सौ दुकाने होती थीं। बाद में यह साढ़े तीन सौ बच गईं। इसकी वजह से दुकानों पर अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति पैदा हो गई। जो दुकाने खाली थीं उनकी निलामी करने को अधिकारी तैयार ही नहीं थे। यही कारण था कि हमें इसको वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यही नीति पंजाब में अभी लागू है। राज्य का एक परसेंट रेवेन्यू बढ़ गया है। यदि पंजाब में यह नीति काम कर सकती है तो दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है।
अरविंद केजरीवाल ने नई आबकारी नीति को बनाने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि हमने यह नीति क्यों बनाई… हमने यह नीति इसलिए बनाई क्योंकि लीकेज बहुत ज्यादा थे। इन्हीं लीकेज को रोकने के लिए हमने यह नीति बनाई। हमने सोचा कि हम पारदर्शी तरीके से दुकानों का ठेका देंगे। इसी वजह से हमने दिल्ली में ऐसा किया। पंजाब में भी यही किया गया है। पंजाब यदि ज्यादा रेवेन्यू कमा सकता है तो दिल्ली में ऐसा क्यों नहीं हो सकता है। यह एक पारदर्शी नीति थी। ऑनलाइन आक्शन हुआ था कोई भी आवेदन कर सकता था। मेरा सवाल यह है कि इस मसले पर इतना हंगामा किया गया। आप ही बताई यह क्या घोटाला था।
केजरीवाल ने कहा कि सीबीआई और ईडी के आठ सौ अधिकारी मनीष सिसोदिया के पीछे लगे हुए हैं। सिसोदिया को गिरफ्तार करने के लिए आठ सौ अधिकारी बीते तीन महीनों से ओवर टाइम कर रहे हैं। ये लोग पांच सौ से ज्यादा छापेमारी कर चुके हैं। एक चवन्नी नहीं मिली इनको। बीते तीन महीने में मनीष सिसोदिया के घर दो बार रेड हो चुकी है। उनके सारे लॉकर खंगाले जा चुके हैं। सिसोदिया के गांव तक छापेमारी की गई। कहीं कुछ भी नहीं मिला। जब कुछ मिला ही नहीं तो घोटाला कैसे हो गया। घोटाले के पैसे कहां हैं। किसी को नहीं पता कि घोटाला क्या है। ढूंढ रहे हैं कि कहीं कुछ मिल जाए लेकिन कुछ भी नहीं मिल रहा है।