सुब्रत राय को बचा रहा है सहारा में लगा नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स का पैसा !
सी.एस. राजपूत
देश में इस समय सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय एक ऐसा नाम बन चुका है जो लगातार देश के विभिन्न तंत्रों को ठेंगा दिखा रहे हैं। सेबी और सुप्रीम कोर्ट की सक्रियता भी सुब्रत राय का कुछ खास बिगाड़ नहीं पा रही है। देशभर में तमाम मुकदमे दर्ज होने के अलावा गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद सुब्रत राय जेल तो नहीं जा पा रहे हैं पर केंद्र के मंत्रियों के साथ जरूर देखे जा रहे हैं। यह अपने आप में दिलचस्प है कि सुब्रत राय छह साल से पैरोल पर मजे मार रहे हैं। यह प्रश्न हर आदमी के दिमाग में है कि आखिर सुब्रत राय ने यह सब कर कैसे रखा है ?
दरअसल सहारा इंडिया को भारत का स्विस बैंक माना जाता रहा है। बताया जाता है कि सुब्रत राय नेताओं, अभिनेताओं, खिलाड़ियों और ब्यूरोक्रेट्स से ब्लैक मनी सहारा इंडिया में जमा कराते रहे हैं। सहारा से ऐसी जानकारी मिलती रही है कि सुब्रत राय ब्लैक मनी जमा कराकर उसका मोटा ब्याज इन लोगों को देते थे। कई नेताओं को तो सुब्रत राय ने सहारा की गाड़ियां, गार्ड और ड्राइवर तक उपलब्ध करा रखे थे। अमर सिंह, जयाप्रदा और राज बब्बर को सहारा द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाएं तो जगजाहिर थी। सेबी और सहारा के विवाद का कारण कहीं न कहीं ये ही सब कारण रहे हैं।
दरअसल सहारा में नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स का ब्लैक मनी उनके नाम से नहीं बल्कि विशेष कोड से जमा कराने की बात सामने आती रही है। यही कारण है कि सेबी की पकड़ में सहारा में जमा कराने वाले नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के नाम नहीं आये हैं। यही सब कारण है कि सहारा सेबी पर निवेशकों का पैसा न देने का आरोप लगाकर जमा कराये गये पैसे वापस मांग रहा है। सहारा में हवाले के जरिये भी पैसे के लेनदेन की बात सामने आती रही है। वैसे तो सुब्रत राय के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी अच्छे रिश्ते बताये जाते हैं। गत दिनों कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने तो प्रधानमंत्री मोदी पर सुब्रत राय से पैसे लेने का आरोप लगाया था।
देशभर के लगभग 10 करोड़ निवेशकों का दो लाख करोड़ रुपये से ऊपर का बकाया सहारा पर होने के बावजूद सुब्रत राय का कुछ न बिगड़ पाने का कारण भी यही बताया जा रहा है कि देश में कई सत्ताधारियों नेताओं के अलावा ब्यूरोक्रेट्स का पैसा भी सहारा में जमा है। पैसे डूबने और नाम बदनाम होने के डर से इन्हीं नेताओं द्वारा सुब्रत राय को बचाने की बात सामने आ रही है। वैसे भी सुब्रत राय ने जनता के पैसे को संबंध बनाने में पानी की तरह बहाया है। देश के विभिन्न पार्टियों के नेताओं को सुब्रत राय मोटा चंदा देते रहे हैं। कई नेताओं को तो सुब्रत राय ने सहारा से काफी सुविधाएं उपलब्ध करा रखी थीं।
समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के तो सुब्रत राय से पारिवारिक संबंध रहे हैं। आज की तारीख में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सुब्रत राय कई मौके पर देखे गये हंै। वैसे भी जब राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तो सुब्रत राय के उन्हें सहारा का हेलीकाप्टर उपलब्ध कराने की बात सामने आई थी। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, भाजपा नेता नरेश अग्रवाल से भी सुब्रत राय के अच्छे संबंध बताये जाते हैं।
यही सब वजह है कि सुब्रत राय अपने सिपहसालारों से कहलवाते रहते हैं कि सहारा अपने सभी निवेशकों का पैसा वापस करने के लिए तैयार है। बशर्ते कि सहारा का जमा 24 हजार करोड़ सेबी वापस कर दे। यह बात गत दिनों सहारा के सीनियर वकील उमेश प्रसाद सिंह ने पटना हाईकोर्ट से भी कही थी। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि सेबी के पास सहारा के 24 हजार करोड़ रुपए जमा हैं। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को सहारा के निवेशकों को पैसा वापस करने का आदेश दिया था। सेबी ने मात्र 178 करोड़ रुपये ही वापस किए हैं। उनका आरोप था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सेबी को निवेशकों के पैसे से ज्यादा जमा पैसा को वापस करने का आदेश दिया है। फिर भी सेबी पैसा वापस नहीं कर रही है।
हालांकि सहारा ग्रुप के धन का बही-खाता अब केंद्र सरकार के रडार पर आ चुका है। इन पर 86,673 करोड़ रुपये जमा करने के लिए निवेशकों से धोखाधड़ी करने और नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। इस रकम से सहारा समूह की फर्म एम्बी वैली लिमिटेड में 62,643 करोड़ रुपये का गलत तरीके से निवेश का आरोप है।
इन समितियों को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय पंजीयक (कॉपरेटिव सोसायटीज), जो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन आता है, को देशभर से 16,000 से ज्यादा शिकायतें प्राप्त हुई हैं। शिकायतों में निवेशकों ने आरोप लगाया है कि सहारा ग्रुप की चार कोऑपरेटिव सोसायटियां- हमारा इंडिया, स्टार्स मल्टीपरपज, सहारा क्रेडिट कोआपरेटिव और सहारयन यूनिवर्सल में स्कीम मैच्योर हो जाने के बाद भी उन्हें परिपक्वता राशि नहीं दी जा रही है। हालांकि, ये संख्या ग्रुप की वास्तविक परेशानी नहीं दर्शाती है।
ऐसा नहीं है कि सहारा ग्रुप से शिकायतें सिर्फ निवेशकों की ही है। सहारा के एजेंट, जो सोसायटी के लिए लोगों से पैसे जमा करते थे, ने भी रजिस्ट्रार के पास शिकायत दर्ज कराई हैं। SEBI ने गत दिनों फिर से सहारा ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। SEBI ने मांग की थी कि सुब्रत रॉय तुरंत अपने दो कंपनियों के बकाया 62600 करोड़ रुपये जमा कराएं. साथ ही यह भी मांग की गई थी कि अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो फिर से उन्हें जेल भेजा जाए।
SEBI की क्या थी डिमांड?
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में SEBI ने कहा था कि साल 2012 और 2015 में सुब्रत रॉय को कोर्ट ने आदेश दिया था कि वो 15% सालाना ब्याज के साथ निवेशकों का पैसा वापस करें. लेकिन सहारा की तरफ से ऐसा नहीं किया गया। साथ ही याचिका में ये भी कहा गया कि पिछले 8 साल से सुब्रत रॉय की कंपनी ने निवेशकों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
सहारा की सफाई
SEBI की तरफ से कहा गया था कि सहारा ने अब तक निवेशकों का सिर्फ मूलधन वापस किया है। ये बढ़ कर अब 62,600 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उधर सारे आरोपों पर सहारा ने कहा था कि उनकी तरफ से 2020 करोड़ रुपये जमा कर दिए गए हैं. साथ ही सहारा ने ये भी कहा कि इतने पैसे देने के बाद भी पूरे अमाउंट पर ब्याज जोड़ा जा रहा है जो कि गलत है।
पैरोल पर जेल से बाहर हैं सुब्रत रॉय
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को मार्च 2014 में गिरफ्तार किया गया था। वो अदालत की अवमानना से जुड़ी एक सुनवाई में शामिल नहीं हो पाए थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। सुब्रत रॉय को मां के अंतिम संस्कार के लिए 6 मई, 2016 को पेरोल दी गई थी। उसके बाद 28 नवंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत रॉय को जेल से बाहर रहने के लिए 6 फरवरी, 2017 तक 600 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था।