चुनाव लड़ती दिखाई नहीं दे रही है बीजेपी, अभी तक कोई निर्दलीय भी नहीं आया है सामने, किसी भी तरह से पार नहीं बसा रही ही बीजेपी, निर्दलीय पर दांव लगाने की बात भी आ रही ही सामने
सी.एस. राजपूत
दिल्ली एमसीडी में मेयर चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी की ओर से शैली ओबरॉय और डिप्टी मेयर पद के लिए आले मोहम्मद इकबाल ने नामांकन कर दिया है। इसके अलावा स्टैंडिंग कमेटी के मेंबर के लिए आम आदमी पार्टी के 4 पार्षदों ने भी पर्चा भरा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि मतगणना के दिन पिछड़ने पर भी मेयर अपना बनाने का दावा करने वाली बीजेपी क्या कर रही है ? तो यह माना जाए कि बीजेपी मेयर का चुनाव न लड़कर आम आदमी पार्टी को वॉकओवर दे रही है। यदि नहीं तो फिर किसे चुनाव लड़ा रही है। अब तक तो यही लग रहा है कि बीजेपी ने मेयर चुनाव न लड़ने की रणनीति बनाई है। हालांकि जिस तरह से मेयर चुनाव के समय बीजेपी ने मुंडका से निर्दलीय पार्षद गजेंद्र दराल को पार्टी में शामिल किया है उससे निर्दलीय पार्षद पर भी दांव लगाया जा सकता है पर मेयर महिला के रिजर्व है।
बीजेपी यदि निर्दलीय पर दांव लगाती भी है तो फिर भी मेयर बनाने का आंकड़ा नहीं छू पा रही है। क्योंकि मेयर बनने के लिए 137 वोट चाहिए। ऐसे में बीजेपी के 104, 3 निर्दलीय और 7 सांसद के अलावा यदि कांग्रेस के 9 पार्षदों के वोट भी मिल जाये तब भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिल रहा है। तो क्या बीजेपी आम आदमी पार्टी के पार्षदों पर अंदरखाने सेट कर रही है। इसकी आशंका आम आदमी पार्टी के नेता सौरव भारद्वाज और राघव चड्डा के बयानों में भी प्रतीत हुई। प्रश्न यह भी उठता है कि जब बीजेपी बहुमत पाने की स्थिति में नहीं है तो फिर आप आदमी को डर किस बात का ? तो क्या बीजेपी अंदरखाने कोई खेल कर कर रही है ?
दरअसल दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे वोटर नहीं करते हैं। मेयर का चुनाव चुने हुए पार्षदों के साथ ही एक पूरा गुट होता है जो दिल्ली के मेयर को चुनता है। दिल्ली में चुने हुए पार्षदों के अलावा कई और सदस्यों का मनोनयन एमसीडी हाउस के लिए होता हैं। दिल्ली में पार्षदों के अतिरिक्त हर साल 14 विधायकों को भी एमसीडी सदन के लिए मनोनीत किया जाता है। हर साल ये विधायक बदल जाते हैं। यदि बात मौजूदा स्थिति की करें तो इस समय 14 में से 12 या 13 मनोनीत विधायक आप के होंगे, जबकि एक या दो विधायक बीजेपी के होंगे। इसके अलावा दिल्ली के सातों लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद भी मनोनीत सदस्य होते हैं। इन सबको मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार होता है, इन सभी को मिलाकर देखें तो कुल 24 सांसदों और विधायकों में 15 या 16 आप के होंगे, जबकि 8 या 9 बीजेपी के. ऐसे में यहां तो बहुमत आपके पास ही होगा।
मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन का रोल क्या ?
देखने की बात यह भी है कि वर्ष 2015 से पहले तक दिल्ली के मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं था। इन पार्षदों को एल्डरमैन कहा जाता है। जब एमसीडी के तीन टुकड़े हुए तो हर एमसीडी में 10-10 एल्डरमैन मनोनीत किए गए, लेकिन इन्हें न किसी चुनाव में वोट डालने का अधिकार था और न ही किसी पद पर चुने जाने का। कांग्रेस नेता और एल्डरमैन रह चुकीं ओनिका मल्होत्रा ने इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2015 को फैसला सुनाते हुए इन एल्डरमैन को वार्ड कमेटी के चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया था पर कई नेता बताते हैं कि अभी तक इस बात पर उलझन है कि दोबारा एकीकृत किए एमसीडी में कितने मनोनीत एल्डरमैन होंगे। इस प्रोसेस के लिए केंद्र सरकार के पास अब नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है, जिसके बाद चुनाव आयोग से मिलकर दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर एमसीडी में मनोनीत सदस्यों को नोटिफाई करेंगे।