सी.एस. राजपूत
दिल्ली एमसीडी स्कूल की महिला टीचर के 5 वीं क्लास की छात्रा को फ्लर्ट फ्लोर से फेंकने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में टीचर को सस्पेंड करने तथा 307 का मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लेने मात्र से इस मामले की इतिश्री नहीं मानी जा सकती है। इस मामले को दूसरे एंगल से भी देखने की जरूरत है। यह मामला इसलिए भी मंथन का है क्योंकि टीचर बच्चों का मार्गदर्शक होता है। यदि टीचर महिला हो तो उसे और भी जिम्मेदार माना जाता है। क्योंकि महिलाएं बहुत संवेदनशील होती हैं। एमसीडी स्कूल में पढ़ाने वाली टीचर को गैर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। महिला इतनी भी क्रूर नहीं हो सकती है कि वह बच्चे को फर्स्ट फ्लोर से फेंक दे और कैंची से वार कर उसे घायल कर दे। यह मामला टीचर के डिप्रेशन में होने का जाहिर हो रहा है। देखने की बात यह है कि एमसीडी स्कूल में टीचर की सैलरी ठीक ठाक होती है। ऐसा क्या हो गया कि यह टीचर डिप्रेशन में आ गई।
दरअसल जिस तरह की घटनाएं समाज में घटित हो रही हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि समाज में मानसिक रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह भी कहा जा सकता है कि देश में एक बीमार तबका खड़ा हो रहा है। लिव इन रिलेशन में प्रेमिका की हत्या, संपत्ति के लालच में माता-पिता और पति की हत्या, पैसों के लालच में मालिक की हत्या, जरा-जरा सी बात पर गोली मार देने के मामले देखने को मिल रहे हैं। साथ ही बच्चों में उन मां-बाप की बात बर्दाश्त करना का संयम भी नहीं रह गया है जो सब कुछ इन बच्चों पर कुर्बान कर देते हैं। किसी के मोबाइल छीनने तो किसी के थप्पड़ मारने पर आत्महत्या करने के मामले भी लगातार सुनने को मिल रहे हैं।
हमारे समाज में यह माना जाता है कि एक आदमी शव के साथ नहीं रह सकता है। आज की तारीख में ऐसे कितने मामले सामने आये हैं कि प्रेमिका, पति या दूसरे किसी संबंध में रहने वाले व्यक्ति की हत्या कर उसके शव के टुकड़े कर फ्रिज में रखने और बेड के नीचे गाड़ देने के बाद उस घर में रहने के मामले भी सामने आ रहे हैं। अपराध कर आदमी सबूत छिपाता रहा है आज की तारीख में ऐसे कितने मामले सामने आये हैं कि अपराध कर उसकी वीडियो बनाकर उसे खुद ही वायरल कर दिया गया। मतलब अपराध कर उसका प्रचार करने की मानसिकता भी लोगों में घर कर रही है।
यह भी कहा जा सकता है अपराध को स्टंट के रूप में पेश किया जा रहा है। यह सब क्या है ? आज लोग राज नेताओं के तो भक्त बन रहे हैं। साधु संतों के वेश में अय्याशी करने वाले कितने लोग समाज में देखने को मिल रहे हैं। महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, महात्मा गांधी जैसे संत के विचार समाज से गायब होते जा रहे हैं। मतलब स्वार्थ, लालच और समझौतावादी प्रवृत्ति के चलते हम एक नया बीमार समाज तैयार कर रहे हैं।
क्या कोई महिला टीचर अपने शिष्य को फर्स्ट फ्लोर से फेंक सकती ? कैंची से हमला कर सकती है ? नहीं न पर दिल्ली एमसीडी के स्कूल में ऐसा वाकया हुआ ? दरअसल एमसीडी स्कूल की एक महिला टीचर ने 5 वीं क्लास की छात्रा को पहले पेपर काटने वाली कैंची से मारा और फिर फर्स्ट फ्लोर से फेंक दिया। बच्ची का इलाज हिन्दू राव अस्पताल में चल रहा है। यह घटना 16 दिसम्बर को दिल्ली की एमसीडी स्कूल की एक महिला टीचर ने की है। हालांकि इस टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।
मामला मॉडल बस्ती के पास दिल्ली नगर निगम के स्कूल का है। यह फास्ट पुलिस अधिकारियों को इस घटना के बारे में सूचना मिली तो पुलिस ने फौरन आरोपी टीचर को हिरासत में ले लिया है। गवाहों के बयान पर आरोपी टीचर के खिलाफ आईपीसी धारा 307 के तहत केस दर्ज किया है और छात्रा को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया गया, जहां पर उसका इलाज चल रहा है। छात्रा खतरे से बाहर बताई जा रही है। स्कूल से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार टीचर ने पहले पेपर काटने वाली कैंची से मारा फिर उनका गुस्सा इतना बढ़ गया कि उसको नीचे धक्का दे दे दिया।