स्टैंडिंग कमेटी पर फोकस कर रही बीजेपी
सी.एस. राजपूत
कल यानि कि शुक्रवार को दिल्ली मेयर और डिप्टी मेयर पद का चुनाव है। भले ही बीजेपी अपना मेयर बनने का दावा कर रही हो पर चुनाव में पलड़ा आम आदमी पार्टी का भारी है। आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर पद के लिए शैली ओबरॉय तो डिप्टी मेयर के लिए आले मोहम्मद इकबाल प्रत्याशी हैं तो बीजेपी ने शालीमार गार्डन से पार्षद रेखा गुप्ता को मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए कमल बागड़ी को प्रत्याशी बनाया है। एलजी वी.के. सक्सेना ने सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया है। सत्या शर्मा सभी पार्षदों को शपथ दिलाएंगे। उसके बाद मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होगा।
दिल्ली एमसीडी में स्टैडिंग कमेटी का बड़ा महत्व है। स्टैंडिंग कमेटी ही आर्थिक मामले देखती है। ऐसे में बीजेपी का फोकस मेयर डिप्टी मेयर से ज्यादा स्टैंडिंग कमेटी पर है। एलजी ने 10 एल्डरमैन मनोनीत कर दिए हैं। उधर दिल्ली सरकार ने भी 14 एल्डरमैन मनोनीत कर दिए हैं। यदि बात आंकड़े की करें तो बीजेपी के पास 104 पार्षद हैं, 3 राज्य सभा और 7 लोकसभा से सांसद हैं। आम आदमी पार्टी के 134 पार्षद हैं। ऐसे में सदन से आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों के 3-3 वोट बनते हैं। ऐसे में मेयर और डिप्टी मेयर पद पर आम आदमी पार्टी का कब्ज़ा होता दिखाई दे रहा है। वैसे एमसीडी मेयर चुनाव में दल-बदल कानून लागू नहीं होता है। क्रॉस वोटिंग हो सकती है। क्योंकि अप्रैल में फिर से मेयर का चुनाव होना है। इसलिए बीजेपी इतने कम समय के लिए ज्यादा हाय तौबा करने के मूड में नहीं लग रही है। उधर कांग्रेस की ओर से कोई बयान नहीं आया है। यह माना जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव में न्यूटल रह सकती है।
सूत्रों के अनुसार बीजेपी का पूरा फोकस स्टैंडिंग कमेटी पर है। जहां तक स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव की बात है तो स्टैडिंग कमेटी में चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन को 18 सदस्य चुनते हैं। ऐसे में बीजेपी का प्रयास होगा की सेंटर दिल्ली, सिविल लाइन और नरेला ज़ोन से 3 सदस्य तो 4 सदस्य वहां से जहां से उसे बहुमत प्राप्त है। ऐसी में बीजेपी के 7 सदस्य बनते हैं। क्योंकि बीजेपी के सांसद ज्यादा हैं तो ऐसे में 3 सदस्य सदन से आ जाएंगे। मतलब बीजेपी का प्रयास 10 सदस्य करने का होगा। वैसे स्टैडिंग कमेटी में आम आदमी पार्टी और बीजेपी का टक्कर है पर क्योंकि एलजी बीजेपी का है तो स्टैंडिंग कमेटी पर बीजेपी का कब्ज़ा हो सकता यही। वैसे भी दिल्ली एमसीडी में स्टैंडिंग कमेटी बहुत पावरफुल मानी जाती है। ऐसे में मेयर और डिप्टी मेयर पद पर आम आदमी पार्टी तो स्टैंडिंग कमेटी पर बीजेपी का कब्ज़ा होता दिखाई दे रहा है।
बीजेपी मेयर बनाने का आंकड़ा नहीं छू पा रही है। क्योंकि मेयर बनने के लिए 137 वोट चाहिए। ऐसे में बीजेपी के 104, 3 निर्दलीय और 7 सांसद के अलावा यदि कांग्रेस के 9 पार्षदों के वोट भी मिल जाये तब भी बीजेपी को बहुमत नहीं मिल रहा है। तो क्या बीजेपी आम आदमी पार्टी के पार्षदों पर अंदरखाने सेट कर रही है।
दरअसल दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे वोटर नहीं करते हैं। मेयर का चुनाव चुने हुए पार्षदों के साथ ही एक पूरा गुट होता है जो दिल्ली के मेयर को चुनता है। दिल्ली में चुने हुए पार्षदों के अलावा कई और सदस्यों का मनोनयन एमसीडी हाउस के लिए होता हैं। दिल्ली में पार्षदों के अतिरिक्त हर साल 14 विधायकों को भी एमसीडी सदन के लिए मनोनीत किया जाता है।
मनोनीत पार्षद यानी एल्डरमैन का रोल क्या ?
देखने की बात यह भी है कि वर्ष 2015 से पहले तक दिल्ली के मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं था। इन पार्षदों को एल्डरमैन कहा जाता है। जब एमसीडी के तीन टुकड़े हुए तो हर एमसीडी में 10-10 एल्डरमैन मनोनीत किए गए, लेकिन इन्हें न किसी चुनाव में वोट डालने का अधिकार था और न ही किसी पद पर चुने जाने का। कांग्रेस नेता और एल्डरमैन रह चुकीं ओनिका मल्होत्रा ने इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2015 को फैसला सुनाते हुए इन एल्डरमैन को वार्ड कमेटी के चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया था पर कई नेता बताते हैं कि अभी तक इस बात पर उलझन है कि दोबारा एकीकृत किए एमसीडी में कितने मनोनीत एल्डरमैन होंगे। इस प्रोसेस के लिए केंद्र सरकार के पास अब नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है, जिसके बाद चुनाव आयोग से मिलकर दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर एमसीडी में मनोनीत सदस्यों को नोटिफाई करेंगे।