Friday, November 8, 2024
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Delhi : सीएम केजरीवाल और एलजी वीके सक्सेना के टकराव की भेंट चढ़ा मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव भी !

संवैधानिक पद रहते हुए भी राजनीति कर रहे हैं उप राज्यपाल वीके सक्सेना, कोर्ट जाने का मन बना रही आप, टकराव के चलते प्रभावित हो रहा दिल्ली का विकास 

सी.एस. राजपूत
भले ही दिल्ली सरकार के साथ ही एमसीडी पर भी आप का कब्जा हो गया हो पर उप राज्यपाल वीके सक्सेना हैं कि आम आदमी पार्टी के एक न चलने देना चाहते हैं। यही वजह रही कि मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव भी एलजी और सीएम की टकराव की भेंट चढ़ गया। कल ही अरविंद केजरीवाल ने एलजी के 10 एल्डरमैन की नियुक्ति को गलत करार दे दिया था। आज जब पार्षदों को शपथ दिलाई जा रही थी तो आम आदमी पार्टी ने पीठासीन अधिकारी बीजेपी के पार्षद सत्या शर्मा को बनाने पर आपत्ति जताई। आम आदमी पार्टी का कहना था कि पीठासीन अधिकारी चुनी हुई सरकार का ही होता है। उन्होंने मुकेश गोयल का नाम दिया था पर एलजी ने सत्या शर्मा को नियुक्त कर दिया। यह एलजी और सीएम के बीच का टकराव ही है कि सदन में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के पार्षदों के बीच जमकर हाथापाई हुई। मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव सदन की अगली कार्यवाही तक टाल दिया गया है । कार्यवाही की तारीख भी एलजी ही तय करेंगे। उधर आम आदमी पार्टी ने एलजी पर मनमानी करने का आरोप लगाकर कोर्ट जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव टलता दिखाई दे रहा है।  ऐसे में स्टैडिंग कमेटी के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन का तो मतलब ही नहीं बनता है। मतलब एलजी और सीएम के टकराव के चलते दिल्ली का विकास प्रभावित हो रहा है। 


दरअसल देश में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल पद संवैधानिक माने जाते हैं। ये वह पद हैं जिनका राजनीति से कोई मतलब नहीं होता है पर भाजपा के राज में संवैधानिक पदों पर बैठे लोग भी राजनीति करने में लगे हैं। चाहे उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ हों या फिर दिल्ली के उप राज्यपाल वीरेन्द्र कुमार सक्सेना उनके क्रियाकलापों में राजनीति देखी जा रही है। जैसे धनखड़ पर सदन में आप सांसद संजय सिंह ने विपक्ष के सांसदों पर अंकुश लगाने का आरोप लगाया है वैसे ही एलजी वीके सक्सेना के निर्णयों पर आम आदमी पार्टी लगातार उंगली उठा रही है। एलजी पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप लगा रही है। एलजी  के क्रियाकलापों से तो ऐसा ही लग रहा है जैसे उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अंकुश लगाने के लिए ही बनाया गया हो।


दिल्ली में देखा जा रहा है कि वीके सक्सेना केजरीवाल के हर काम रोड़ा बनने का प्रयास करते हैं। अब दिल्ली एमसीडी चुनाव के बाद मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होना था तो पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करने के साथ ही 10 एल्डरमैन भी घोषित कर आम आदमी पार्टी को भड़का दिया है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जब कल ही एलजी द्वारा 10 एल्डर मैन घोषित करने को गलत करार दे दिया था तभी यह माना जा रहा था कि मेयर चुनाव में बड़ा हंगामा हो सकता है और यही हुआ। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि पीठासीन अधिकारी चुनी हुई सरकार का होता है। दरअसल आम आदमी पार्टी को अंदेशा है कि मेयर और डिप्टी मेयर पद तो बीजेपी के बस के नहीं हैं पर एलजी बीजेपी को स्टैंडिंग कमेटी को कब्जाने में मदद कर रहे हैं। 


दरअसल वीके सक्सेना अरविंद केजरीवाल को घेरने का पूरा प्रयास करते हैं हाल ही में उन्होंने केजरीवाल पर 97  करोड़ रुपये का राजनीतिक विज्ञापन सरकारी खर्चे से देने का आरोप लगाकर यह पैसा उनसे वसूलने का निर्देश दिया था। एलजी ने यह आदेश इसलिए दिया था क्योंकि कथित तौर पर राजनीतिक विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापन के रूप में प्रकाशित करने के लिए दिल्ली सरकार ने भुगतान किया था। उस समय एलजी ने मुख्य सचिव से सरकारी विज्ञापन में सामग्री नियमन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्ति समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए कहा था।
अगस्त में उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच उस समय बड़ा टकराव हो गया था जब एलजी ने केजरीवाल की फाइलें वापस भेज दी थीं। दरअसल वीके सक्सेना ने सीएम केजरीवाल की ओर से हस्ताक्षरित नहीं की गई 47  फाइलों को वापस भेज दिया था।  राज निवास कार्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया था कि सभी 47 फाइलों पर संवैधानिक मानदंडों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने हस्ताक्षर कर नहीं भेजा था। इसलिए सभी फाइलों को सीएम ऑफिस को वापस कर दिया है।  


 दरअसल केंद्र सरकार के चलते 2022 केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के टकराव  रहा है। अनिल बैजल की ओर से 18 मई को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए उप राज्यपाल के पद से इस्तीफा देने से पहले, उनके पांच साल के कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र और शासन से संबंधित मुद्दों को लेकर आप सरकार और उनके बीच लगातार टकराव की स्थिति रही थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने 2018 में एक बार उनके कार्यालय के बाहर ‘धरना’ भी दिया था। हालांकि, उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के बाद दोनों के बीच टकराव कम हो गया था, जिसमें उसने कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह मानने को बाध्य हैं। उसके बाद वीके सक्सेना की उनके उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्ति हुई और टकराव पहले से ज्यादा बढ़ गया था। 

केजरीवाल सरकार को जुलाई में तब बड़ा झटका लगा था, जब सक्सेना ने उसकी 2021-22 की आबकारी नीति की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश कर दी थी । इस नीति में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों के आरोप लगाये गए थे। दिल्ली सरकार ने राजस्व बढ़ाने और शराब व्यापार में सुधार के लिए पिछले साल शुरू की गई नीति को उसी महीने वापस ले लिया था। इस नीति को लागू करने में कथित अनियमितताओं के संबंध में इस साल अगस्त में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर सीबीआई ने छापा मारा गया था ।  


इतना ही नहीं ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ…’ और ‘दिल्ली की योगशाला’ समेत अन्य सरकारी योजनाओं को लेकर भी सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हुई। केजरीवाल सरकार और सक्सेना के बीच जुबानी जंग में कुछ हल्के-फुल्के पल भी आए, जब मुख्यमंत्री ने सक्सेना के कार्यालय से उन्हें भेजे गए पत्रों को ‘लव लेटर’ करार दिया और टिप्पणी की कि उनकी पत्नी ने भी उन्हें इतने ‘लव लेटर’ नहीं लिखे हैं। केजरीवाल दिल्ली सरकार की बिजली सब्सिडी योजना और इसकी विवादास्पद आबकारी नीति में घोर अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए सक्सेना की ओर से लिखे पत्रों का जवाब दे रहे थे।  
एलजी ने दिल्ली सरकार को मई में उस समय झटका लगा दिया था। जब जब प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के एक मामले में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार कर लिया था। जैन की मुश्किल तब और बढ़ गई थी जब कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर ने अक्टूबर में वीके सक्सेना को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि मंत्री ने जेल में उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2019 में उससे 10 करोड़ रुपये की ‘‘उगाही’’ की थी। देखने की बात यह है कि इन सबके बावजूद दिसंबर की शुरुआत में एमसीडी चुनाव में आप ने 250 सदस्यीय नगर निकाय में 134 सीट हासिल करके एमसीडी में बीजेपी के 15 साल का शासन समाप्त कर दिया। 

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